Saturday, April 28, 2018

बांट लेंगे हम आधा आधा....



दफ्तर से रसोई की दौड़
तुम्हारे बराबर आ जाने की बेवजह होड़
छोड़ दूंगी
मैं भी
बस तुम ज़रा कायदे में आ जाओ
इंसान के खोल में समा जाओ
मान लो ये सच्चाई
लिविंग रुम मेरा भी हक है
ये रसोई तुम्हारा भी सच है....
पर हाय मिर्च मसालों को रोज इस्तेमाल में लाते हो
रोज नए नए ढंग से
मेरे कैरेक्टर का साग पकाते हो
मैं छोड़ दूंगी
स्टेटस पर फेमिनिज्म का राग
सर्फ एक्सेल से धो डालूंगी
तुम्हे दिए अब तक के दाग
तुम भी तो थोड़ी हद में आओ
अपनी कमीज से ये ईगो वाला कॉलर हटाओ
मेरा यकीन करो
मेरी अम्मा ने हर दिन में मुझे ये रटाया है
सिर्फ एक गीत सिखाया है
लड़के लड़की में नहीं कोई फर्क
फिर भी फैमिली लाइफ में आए कोई जर्क
तो दिल से दोहराना
बांट लेंगे हम आधा आधा....
.

No comments: