Saturday, April 28, 2018

ख्वाब बनकर कोई आएगा

ख्वाब पर किसका बस चला है भला...ख्वाब तो उस वक्त भी आ सकता है कि जब बेटियों की फिक्र और गुस्से में काली हो रही हों एफ बी की डीपी....और सूबे की फिज़ाएं नए बीजेपी अध्यक्ष की अटकलें ला रही हैं....कहते हैं उम्र के साथ आंखे और नींद ही नहीं ख्वाब भी बर्ताव बदल लेते हैं तो इस लिहाज से तो हमारी ये उम्र नहीं कि रुपहले पर्दों दिखाई देने वाले सितारों के सपनें सजाएं... यूं भी तो सपनें नींद की मियाद पर जिंदा रहते हैं...आंख खुली और सपना टूटा...खैर, इस बयानी की गरज़ ये कि कभी कोई चेहरा , उसकी कोई अदा पत्थर से हो चले दिल पर बड़ी गहरी दस्तक दे जाता है....कि धड़कनें बढ जाती हैं..इसके मायने ये कतई नहीं कि जिंदगी से जो मिला उससे बेताल्लुकी है....शिकवा है कोई....कहना बस इतना सा है कि फिल्म सीरियल में बैन हुए फवाद कल रात सपने में अपनी झलक दिखा गए...
कुछ तो बात है दुश्मन कहे जाने वाले पड़ोसी देश के इस चेहरे में...स्कूल कॉलेज के दिनों की वो दीवानगी इस चेहरे के साथ फिर लौट लौट आती है.....
जिंदगी गुलज़ार है के ज़ारून, सरहद पार के फवाद....
शुक्रिया है तुम्हारा....जो तुम नफरतों के इस दौर में भी....मुहब्बत की डोर बनें हुए हो....
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों मे, क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बना कर देखो।

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