जब भी सफर पर निकलती हूं... हाई वे किनारे खड़े पेड़ों से अलविदा कहने में दिल भर आता है.... मुझे वो अनजान शहर में में स्टेशन पर छूट गए मुसाफिर की तरह दिखाई देते हैं... जिन्हें लेने कोई रेल नही आती...
अनाथ आश्रम में छूट गए वो बच्चे हों जैसे कि े जिन्हें किसी ने गोद नही लिया....
बेगाने शहर में वो अनजाने लोग जो खुद से कहते हैं... शाम ढलने को है हम किधर जाएंगे....
अनाथ आश्रम में छूट गए वो बच्चे हों जैसे कि े जिन्हें किसी ने गोद नही लिया....
बेगाने शहर में वो अनजाने लोग जो खुद से कहते हैं... शाम ढलने को है हम किधर जाएंगे....
हाइवे पर खड़े पेड़ जो कुछ कह पाते तो क्या कहते....
#travel and me
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