Saturday, April 28, 2018

तो सांसे थम जाएंगीं.....

       पर्वत पर चढना कठिन नहीं होता 
      मुश्किल नहीं होता धीरे धीरे 
     एक समतल पथ पर 
     सदियों का सफर तय कर लेना 
     कठिन है तो केवल 
     परिक्रमा
    सूर्य के चारों तरफ घूमती पृथ्वी भी
     तो कभी ऊबती होगी
    और खुद से पूछती होगी,
     कहां से कहां पहुंची,
     कोई पूछ ही ले,
    तो क्या बताऊंगी
     कि ये परिक्रमा ना मेरी मर्जी का पथ है
     ना मेरी प्रार्थना
     ना प्रेम की डोर कोई...
    पर इस परिक्रमा से ही
   ऊगने हैं दिन , डूबनी हैं रातें
     कि सुस्ताने ठहर गई
    तो सांसे थम जाएंगीं.....


 ..................... शिफाली 

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