Saturday, April 28, 2018

बेमौसम लगी झड़ी जैसे ,

बेमौसम लगी झड़ी जैसे ,
रिश्ते
मौसम की तरह होते हैं
ये जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है....
तप गया है ये धूप मे देखो
कोई हलचल नहीं,
हवा भी नहीं
छूटती डोर का सिरा भी नहीं
सोचती हूँ की यूँ ही रहने दूँ
छोड़ दूँ आस के सारे तागे
फिर किसी रोज़
बेवक्त लगे कोई झड़ी
मेरे हिस्से की धूप ढल जाये.....
शिफाली

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