Saturday, April 28, 2018

ये सेल्फी विद सीएम है जी



ये सेल्फी विद सीएम है जी
वो उदास लौट रहा था हाथ, में खाली मोबाइल लिए। वो मोबाइल जिसमें, सेल्फी का मोड भी कब का हैंग हो चुका था। फिर नज़रें, उस शादी के सूट पर गईं, सीएम साहब की पत्रकार वार्ता के लिए तो खास ड्राइक्लीन करवाया था, और आज बड़ी शान से पहना था। रहरहकर एक ही ख्याल आ रहा था। संपादक जी को क्या जवाब दूंगा। जब तक मेरा दफ्तर पहुंचना होगा, तब तक तो सारे अपनी अपनी सेल्फी विद सीएम अपलोड कर चुके होंगें। होंगे, क्या जी कुछ ने तो हाथोंहाथ कर भी दी थी वहीं से । नेक काम में देरी होनी भी क्यूं चाहिए भला। श्यामला पहाड़ी के सन्नाटे में भी उसके कानों में आवाजों का शाोर था, खुद को पत्रकार कहते हो शर्म नहीं आती, कैसे कैसे लोग चले आते हैं, सेल्फी लेने की तमीज नहीं पत्रकार बनेंगे, दफ्तर की आावाजें।
फिर घर से उठती आावाजें, शर्म नहीं आई तुम्हे बच्चों के सामने ये कहते कि नहीं ले पाया सेल्फी। टुन्नी अब स्कूल क्या मूंह लेकर जाएगी। और पप्पू ने तो मिश्रा के लड़के से कल ही शर्त लगा ली थी कि इस बार उसके पापा का सेल्फी सीएम से एकदम सटके और हटके होगा। 
आवाजों का ये शोर आात्मा की आावाज सुनकर थमा। तू घबरा मत,तूने कोशिश की थी, सीएम के मंच से उतरते ही सबसे पहले तू ही सीढियों की तरफ लपका था, पचास धक्को, चौबीस चिकौिटयों, और 30 के करीब गुदगुदियों के बाद भी सीएम की बगल वाली जगह से टस से मस ना हुआ, लेेकिन कम्बख्त गुप्ता ने ऐसा हाथ ऐसा दबाया कि चाहकर भी हाथ मोबाइल तक नहीं पहुंच पाया और फिर किसी वज्रपात की तरह मिले धक्के में कब तू सीधे बाहर फिका गया पता ही नहीं चला।
वो इसी उधेड़बुन में बढा जा रहा था, कि सामने एक बोर्ड दिखा। बोर्ड पर मन की मुराद लिखी थी, दस मिनिट में बनें सेल्फी ट्रेंड पत्रकार। उसने तुरत भीतर जाकर रजिस्ट्रेशन कराया। लेकिन पता चला नाम अभी वेटिंग लिस्ट में है। मन बार बार हुंकार भर रहा। एक बार नाम आ जाए लिस्ट में तो ट्रेनिंग के बाद बताता हूं गुप्ता को। खैर, सेल्फी के ठुकराए को आखिर एन्ट्री मिल ही गई। और शुरु हुई ट्रेनिंग।
नौजवान सा एक लड़का टिप्स दे रहा था,. अरे, ये तो.....है प्रांतीय पे रखा था मैने इसे अखबार में । देखो आज मुझे पढा रहा है। 
सही कहता है पप्पू। पापा आप आउटडेटेड हो गए हो। खैर लड़का संस्कारवान है टीचर बन गया मेरा, इतना आगे बढ गया फिर भी प्रणाम तो किया। 
तो शुरु हुई क्लास, और शुरु हुए सेल्फी टिप्स। 
कृपया ध्यान दें। सेल्फी विद सीएम एक ऐसी विधा है जो आपको अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। पतन से विकास की ओर ले जा सकती है। लेकिन इसके खास टिप्स हैं। 
1.पहला, सेल्फी विद सीएम के लिए पत्रकार वार्ता के दौरान ही माहौल बना लें। कटू सवाल से बचें। सवाल पूछने से पहले बधाई आदि आवश्यक है।जितना मीठा सवाल सेल्फी की संभावनाएं उतनी बलवती। 
2. पीसी खत्म हो जाने के बाद, जब सीएम मंच से उतरें, तो एंगल पहले से देख लें कि आपको उऩ्हे कहां लपकना है। इसके पहले कि आपकी प्रतिस्पर्धी दांए या बाँए तरफ जगह बनाए। आप मौका देखते ही ठंस ले। इस दौरान सेल्फी मोड में मोबाइल पहले से ही हाथ में होना आवश्यक है। 
3. एन मौके पर झिझकें नहीं, नकली सूद भर की मुस्कान खींच कर आग्रह करें, भाईसाब एक सेल्फी। चूंकि अगला पब्लिक में है तो आपका अनुरोध ठुकराए जाने की संभावना कम ही होगी।
4 ये मौका चूक गए तो दूसरा तरीका, सीएम के साथ सटकर चलें, धक्के आंंए पर अंगद के पांव की तरह जमें रहे। फोटोग्राफर पहले से ही सैट हो ये ध्यान रखना जरुरी है, और फोटोग्राफर भी ऐसा जो मौका देखकर चौका मार दे। उसे पहले ही बता दें कि जब सीएम साहब का हाथ कंधे पर हो, या फिर हाथों मे, तस्वीर भी तभी लेनी है।
अगर आायोजकों के आग्रह पर सीएम कुछ भोजन पानी के लिए रुकते हैं तो ये सुनहरा अवसर होता है सेल्फी के लिए। सीएम जहां बैठेंगे, वहां किसी तरह बगल की सीट लपक लें। जगह नहीं मिले तो कुर्सी का हत्था हथियाने में भी संकोच ना करें। ( हमारे यहां मेरिट सेल्फी होल्डर तो हवा में भी बैठे रहे हैं सैल्फी के लिए।) अब सीएम खा रहे हों, या गा रहे हों। ये आदर्श अवस्था होती है सेल्फी के लिए। अगर एंगल ठीक बन गया तो सीएम ने हमें खास तौर पर भोजन के लिए बुलाया ये कहकर फेसबुक पर मिनिटों में ही सुंदर और प्रभावी झांकी जमाई जा सकती है।
और अगर सेल्फी लेने से चूक गए तो भी निराश ना हों। कई बार ये निराशाजनक स्थितियां बनती हैं, तब सीएम सचिवालय के दीगर प्रभुत्व वाले अधिकारियों के साथ सेल्फी उतारकर अपने अहं और समाज के वहं की संतुष्टि कर सकते हैं। 
इति सेल्फी अध्याय प्रथम खंडे
(बहुत दूर हैं और सेल्फी के सख्त खिलाफ हैं फिर भी बहुत मन है शिफाली जी के साथ एक सेल्फी लेने का !!)

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