बेशक, जिंदगी आपके हिस्से सिर्फ और सिर्फ सवाल ही छोड़ रही हो... हर दूसरा दिन हर्डल रेस का नया टारगेट सेट करने आता हो ...हर दूसरा फोन कॉल मुश्किल की घंटी बन जाता हो....तब भी कि जब ये यकीन होने लगे कि पीपल में मन्नतें नहीं सिर्फ धागे बांध आए थे ....और आसमान के उस पार जो भेजीं थीं मुरादें वो तो कबकि खला में खो गई होंगी ..., ...जिंदगी की आइस पाइस में जब रिश्ते ढूंढने से भी ना मिलें..... .....तो पहाड़ से भारी इन दिनों को यूं गुज़ारिए कि हर बोझ से बेअसर रहे दिल.....
कि जिस्म और जिंदगी से पल भर की भी बेरूखी का ख्याल ना हो ..... दफ्तर से लौटने के बाद जो आपकी एक आवाज पर घर का इत्मीनान बनें दौड़े आते हैं ...
किसी सूरत उनका ये भरम ना टूटने पाए कि सुपर मैन....सुपर वुमन कभी हारते नहीं....
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