Saturday, April 28, 2018

तुम इस इतवार का एतबार मत करना.....

                नींद इस आवाज़ पर टूटे की दिन चढ़ आया है
                  सूरज पर चढ़ी हो गुनगुनी चाय 
          रसोई नाश्ते मे ही निपट सुस्ता रही हो
          जब classified भी इत्मीनान से पढे जाएं
           जिस दोपॅहरी सिर्फ सुकून के सपने गढ़े जाएँ..
            और लूप मे केह रही होंगी गंगूली
          आपकी याद आती रही....
                  रात भर....
         तुम इस इतवार का एतबार मत करना.....

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