हवा में उछाल दी जाती
तो खूब खिलखिलाती
मैं जानती थी
कि ये हाथ मुझे गिरने नहीं देंगे
भागती दौड़ती
आती,और दुबक
जाती तुम्हारी गोदी में कि
कि ये सबसे महफूज़ जगह थी मेरे लिए
तो खूब खिलखिलाती
मैं जानती थी
कि ये हाथ मुझे गिरने नहीं देंगे
भागती दौड़ती
आती,और दुबक
जाती तुम्हारी गोदी में कि
कि ये सबसे महफूज़ जगह थी मेरे लिए
मां ने मुझे भी सिखाया गुड टच बैड टच
पर ये भी बताया कि किसी का भी
मामा बैड नहीं होता
पर ये भी बताया कि किसी का भी
मामा बैड नहीं होता
मैं तो मामा के कंधे पर भी वैसे ही सोई
जैसे मां के पल्लू से लिपटकर रोई थी
जैसे मां के पल्लू से लिपटकर रोई थी
बाबा कहते थे, तू हमारी परी है
परी से तो सब प्यार ही करते हैं ना
मामा ने भी शायद प्यार ही किया होगा....
परी से तो सब प्यार ही करते हैं ना
मामा ने भी शायद प्यार ही किया होगा....
बस ये आखिरी ख्याल लिए सो गई है वो
वो जो पत्थरों को दोस्त बनाकर खेला करती थी
अब फूल से खौफ खा रही है...
अब फूल से खौफ खा रही है...
हर छुअन से घबरा रही है......
............शिफाली
( -एक बेटी की मां बनने की हसरत लिए इस दुनिया से जाऊंगी ये मलाल था मुझे ....पर कल रात से सोच रही हूं क्या मैं उस बेटी को खुशहाल छोड़िए महफूज़ दुनिया भी दे पाती......)
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