Saturday, April 28, 2018


                  वो जिन्हे जुबां की ज़मीन नहीं मिल पाई 
              वो जो इकरार की मंजिल तक आते छूट गए 
           वो जो इसरार बनें....और रुठ गए 
वो जो चुभते हैं दिल में किरचें बनकर 
हां , .ये उन्ही लफ्ज़ों के इज़हार का दिन है....

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