दुख... केवल सब्र की ज़मीन नहीं... दुख जीवन की उर्वरा है... अनंत यात्रा के पड़ाव का साक्षात .पर दुख के बाद भी जीवन छल से भरा रहे ..... दुख के बाद भी दुनियादारी के सवाल हों... ..तो ये दुख आत्मा की नमी नहीं... व्यर्थ का विलाप है.. ...कोशिश हो कि दुख... सबक बनें..कि दुख की कोख जब अवसाद को जन्म दे रही हो... तब भी..टूटी फूटी सही जीवन में आस्था बनी रहे....
कि जब तलक सांस है भूख है प्यास है....
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