घर की रौनकें सहेजती शाम कोई
चीखते, बिलखते, जागती कोई सुबह
साथ जीने मरने की कस्मों में चढता दिन कोई
शिकवों में उतरती सांझ
जो इस वादे पे ढलती कि
अब जुदा होंगी हमारी राहें....
किलकारी संग भागता सूरज
पसीनों में लथपथ
सड़क सड़क हांफता सूरज
और चांद वाली वो रात
कि जब पानी में
बहा आईं थी सारी हसरतें....
चीखते, बिलखते, जागती कोई सुबह
साथ जीने मरने की कस्मों में चढता दिन कोई
शिकवों में उतरती सांझ
जो इस वादे पे ढलती कि
अब जुदा होंगी हमारी राहें....
किलकारी संग भागता सूरज
पसीनों में लथपथ
सड़क सड़क हांफता सूरज
और चांद वाली वो रात
कि जब पानी में
बहा आईं थी सारी हसरतें....
कैलेण्डर में सिर्फ तारीखें दर्ज नहीं होती.....
शिफाली
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