Saturday, April 28, 2018

उस रोज़ से पहले.....बहुत कुछ बाकी है करने को......

मैथ्स सेक्शन के उस लड़के से कहना है कि बावजूद इसके कि तुम्हारे गेस पेपर से एक भी सवाल नहीं आया...पर मेरे इम्तेहान की फिक्र का तुम्हारा नतीजा सौ फीसदी रहा....।
पैसे आ जाएंगे...कहकर, गुरबत वाले दिनों में खाली पॉकेट की लाज रखने वाले, बेकरी वाले अंकल को बर्थ डे पर ढाई किलो का केक भेजना है.....
अखबार की नई नौकरी थी, मुझे रात ना हो जाए..लिहाजा एडीटर से नजर बचाकर मेरा पेज लगाने वाले पेस्टर को बताना है, मास्साब तुमने सिखाया था कि कुछ चीटिंग भी सच्ची अच्छी होती हैं.....
इलेक्शन में लाइव शो के दौरान....सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच से मुझे महफूज़ निकाल लेने वाले उस शख्स को भी कहना है शुक्रिया....जिसने फिर बाद में दुश्मनी के लिए सारे बंदोबस्त किए....लेकिन उसकी नेकी के आगे उसकी सारी रंजिशें कमजोर पड़ गईं.....
मेरी गैरहाजिरी में घंटों मेरे लिए हर दिन नए नए किस्से गढने वाले मेरे हमकाम लोगों को माफी लिख भेजना है...कि मैने तो मैने उस रोज ही तुम्हे क्षमा कर दिया था...कि तुम्हारी तरबीयत के नतीजे थे......
उस रोज़ से पहले.....बहुत कुछ बाकी है करने को......

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