- कुछ लम्हे अपने नाम के हो
- कोई इत्मीनान की शाम के हो
- लिखूं किताब मन की अबकि
- नीदों को मिले मीठी थपकी
- मैं दूर देस को जाऊं अब
- मैं दिल के साज़ पर गाऊं अब
- जो संघर्षों में रुठ गए
- जो हाथ छुड़ाकर छूट गए
- उस बीती को मैं बिसार भी दूं
- जो साथ खड़े.,उनको देखूं
- जो साथ चले उनको जानू
- मुझे वादी में सुस्ताना है
- सागर पर दौड़ लगाना है....
- बस इतनी सी ख्वाहिश मेरी,
- दुनिया से जब रुखसत पाऊं
- इतनी मोहलत बस मिल जाए .....
- शिफाली
Saturday, April 28, 2018
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