Saturday, April 28, 2018

तुम क्या समझो ...जानीं....

बिस्तर पर पड़ा
गीला तोलि‍या
हाथ धोकर छोड़ी गई थाली
पसीने की बू में तरबतर
जुराब...
सुबह चढती
शाम उतरती
चेहरे की आब
रसोई से रसोई की दौड़
शिकायतों के नए नए मोड़
त्याग की तपस्या
पूनम, अमावस्या
उलाहने की टोक
आंखों की रोक
रिश्तों की राजनीति
जज़्बे पर सवाल
पहले शह
फिर मात की चाल
कभी मोहब्बत की बातें
कभी जिरह के दौर
कद्दू से लौकी,
फिर आलू पर गौर
इसे देखो....
इसे जानों....
फिर समझो ये कहानीं...
एक चुटकी सिंदूर की कीमत...
तुम क्या समझो ...जानीं....

........शिफाली

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