Saturday, April 28, 2018

कभी यूं भी तो हो.......

र जो मुझे ना छूना हो आसमान
छोड़ दूं जो ये ख्वाहिश कि सितारों पर हो मेरा नाम
कई रातें जाग कर लिखा अपना दीवान
मैं तुम्हारे नाम से छपवाऊं...
तुम्हारी कामयाबी पर रीझूं
तुम्हारी जीत पर इतराऊं
तुम्हारे रिकार्ड वाले मैडल
बनें मेरी भी शान
गले में पड़े काले मनकों में
मैं ढूंढू अपना मान
वट सावित्री, तीजा, चौथ
ये सारे दिन राष्ट्रीय पर्व बन जाएं
बराबरी का कोई नारा नहीं अब
मन समर्पण के प्रेम के गीत गाएं
सिंगार के आगे खत्म हो जाए मेरा संसार
तुम्हारे हर प्रहार पर लुटाओं झोली भर भर प्यार
स्त्री का पर्याय अबला स्थाई हो जाए जो
मेरे आंखों में मेरे सपने ना हों,
बस तुम्हारा ही अक्सर नजर आए तो
कभी यूं भी तो हो.......
( वुमन्स डे स्पेशल तड़का)
शिफाली....

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