जिस दौर में लड़के लड़की के बीच फर्क का दायरा रंग से शुरु होता हो...और तू बार्बी मैं किंग वारियर्स से परवान चढते.... रसोई तेरी, रेसलिंग मेरी तक पहुंच रहा है ...,....उसी दौर की है ये दोस्ती भी...जहां फासला सिर्फ उम्र का है...तुम लड़की हो...मैं लड़का हूं कि बाउन्ड्री लाइन इस दोस्ती में आई ही नहीं ....लड़के के एक घूंसे का जवाब लड़की चार घूंसों से भी दे सकती है, सनद
रहे...,..एक दूसरे के साथ कपल डांस भी हो जाए.....और मिनिटों में हाई वोल्टेज झगड़ा भी....,ना साथ फोटो खिंचाने में कोई गुरेज...ना कंधे थाम लेने में कोई संकोच.....इस सारी बयानी के
पीछे गरज इतनी है कि देखिए........कि उम्र के साथ आई समझदारी, कैसे हमारी सहजता छीने ले जा रही है.......बचपन कितना बेफिक्र है...कितना आसान..
रहे...,..एक दूसरे के साथ कपल डांस भी हो जाए.....और मिनिटों में हाई वोल्टेज झगड़ा भी....,ना साथ फोटो खिंचाने में कोई गुरेज...ना कंधे थाम लेने में कोई संकोच.....इस सारी बयानी के
पीछे गरज इतनी है कि देखिए........कि उम्र के साथ आई समझदारी, कैसे हमारी सहजता छीने ले जा रही है.......बचपन कितना बेफिक्र है...कितना आसान..
जानती हूं, दुनिया की हवाएं इन पर भी असर डालेंगी....कोशिश रहेगी कि इनके ज़ेहन में फर्क सिर्फ अच्छे बुरे का हो...
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