Sunday, June 28, 2015

हमला हुआ..जागे भी..फिर सो गए



मुंबई पर फिर आतंकी हमला हुआ है। पूरे 31 महीने की लंबी नींद के बाद हम फिर जाग गए हैं। इस बार हमें जगाया है मुंबई में आठ मिनिट के भीतर तीन अलग अलग जगहों पर हुए बम धमाकों ने। अब जागे हैं तो ये दिखाना भी जरुरी है कि हम जाग रहे है। मुंबई में हुए धमाके लेकिन असर भोपाल तक है। शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात है पुलिस। पूरा देश हाइअलर्ट पर है। आतंकवादियों ने पूरे देश को काम पर लगा दिया है। दिल्ली,गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठकों में व्यस्त। मुंबई सुुरक्षा बलों के सहारे सतर्क। कोलकाता और चैन्नई में पुलिस सख्त। और बाकी पूरे देश में पुलिस की सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम। आतंकी हमला हुआ तो नेता भी काम पर लग गए। सरकार चिंता जताने का काम कर रही है,तलाश रही है कहां नाकाम हुई खुफिया एजेंसी। सुरक्षा में कहां चूक हो गई। विपक्ष निंदा का काम कर रहा है। आतंकियों से पहले केन्द्र में बैठी उस सरकार की निंदा जिसकी सरपरस्ती में लगातार देश आतंकी हमलों का शिकार हुआ है। टीवी चैनलों के महीनों से खाली बैठे संवाददाताओं को भी काम मिल गया है। घंटो का नही, दिनों का काम। लेकिन इन सबके बीच देश तो नाकाम हो गया। उन आतंकवादियों के आगे, जो हमारे ही मुल्क में हमे ही निशाना बनाकर दहशत फैलाकर चले गए। अब हमारे पास करने के लिए केवल विश्लेषण है। 13 और 26 तारीख का विश्लेषण। मुंबई आतंकवादियों की पसंदीदा क्यों हो है इस बात का विश्लेषण। लेकिन इन सारे विश्लेषणों के साथ कोशिश इस बात की भी होनी चाहिए कि बम धमाकों से दहल गई मुंबई के बजाए हम ये सुर्खियां बना पाएं कि सुरक्षों बलों ने नाकाम किए आतंकियों के मंसूबे। लाखों की जान बची। ये सही है कि जिनके भरोसे ये मुमकिन हो सकता है वो खुफिया एजेंसी सौ फीसदी कामयाब कभी नहीं हो सकती। लेकिन हमारी सरकारें,हमारी सुरक्षा बल तो सौ फीसदी तैयार रह सकते हैं। पूरे साल ना सही वक्त से सबक लेकर अगर हर महीने की 13 और 26 तारीख को ही देश में सुरक्षा बढा दी गई होती तो शायद इस धमाके में जो बेकसूर जाने गईं वो बचाई जा सकती थी। हांलाकि इस सबके बाद भी ये उम्मीद करना तो बेमानी ही है कि कुछ नया होगा। हफ्ता भर, हमले की तह तक जाने में बीतेगा। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला करना तो दूर भारत में हुए आतंकी हमलों के सबूत पाकिस्तान तक पहुंचाने पर विचार करेगी सरकार। 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले का मुख्य आरोपी अजमल कसाब चैन पहले की तरह सुकून में ही रहेगा। खुश होगा जेल के भीतर ये जानकर कि उसके भाई उसके काम को आगे बढा रहे हैं। और हिन्दुस्तानी हुकूमत की मेहरबानी से वो आतंकियों की कामयाबी को देखने के लिए जिंदा भी है और मुमकिन है कई और सालों तक जिंदा बना भी रहेगा। आतंकी अफजल गुरु भी राहत महसूस करेगा। कि वो जेल में आ गया तो क्या उसका मकसद तो हर हाल में पूरा हो ही रहा है। देश में दहशत है। बेकसूरों की जानें जा रही हैं। एक आतंकवादी को और क्या चाहिए।वाकई, कितनी सहिष्णु है भारत की सरकार। पाकिस्तान पर हमला तो भूल ही जाइए। हिन्दुस्तान में आतंकी हमलों के गुनाहगारों को भी फांसी देने में संकोच करती है। उन आतंकवादियों को सजा देने में भी महीनों नहीं सालों विचार करती है जिनकी वजह से देश में हजारों बेकसूर जानें गई है। लेकिन फिर भी एक गुजारिश है अब नींद से जाग गए हैं,तो आंखे भी खोल ही लीजिए। और जो बेगुनाहों को मौत देते हैं, इंसानियत के दुश्मनों को उनके किए की सजा दीजिए। ताकि बाजार में अपनी ख्वाहिशें खरीदने गए और घर नहीं लौटे किसी नौजवान के घरवाले ये सुकून कर सकें कि हमारी हिफाजत ना हो सकी लेकिन उनके बेटे को मौत देने वालों को भी जिंदा नहीं छोड़ा गया। देश के सम्मान की खातिर ना सही, बाजारों में,रेल्वेस्टेशनों पर आतंकी हमलों का निशाना बनने वाली उस भीड़ की खातिर ही सही, जिससे ये देश बनता है। इस हमले के चंद हफ्ते बीतने के बाद फिर चैन की नींद मत सो जाइएगा। अबकि जागते रहना है,जब तक दहशतगर्दो से, इंसानियत के दुश्मनों से हिसाब बराबर नही हो जाता।

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