Tuesday, June 30, 2015

क्या हर मामले में बनेगा इतिहास



सदन की आसंदी के अपमान में, निष्कासन नहीं,सीधे विधायकों की बर्खास्तगी। और वो भी इतनी फुर्ती में कि चुनाव आयोग को सूचना भी देदी गई और राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर आयोग ने इन विधायकों की सीट को रिक्त भी घोषित कर दिया। तब लग रहा था कि मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में ये अपनी तरह का पहला मामला है। लेकिन इतिहास में तो अभी और भी बहुत कुछ दर्ज होना बाकी रह गया था। इससे आगे बढते हैं। इतिहास में अब ये भी दर्ज होगा कि विधायकों की बर्खास्तगी के बाद फिर सत्ताधारी दल ने ही पहल की, बर्खास्त विधायकों के खेद जताते पत्र के साथ, भाजपा उनकी बहाली में ऐसे जुट गई कि जैसे बहाली का मामला खुद उनकी पार्टी के विधायकों का हो। सरकार में बैठे सारे दिग्गज संविधान खंगलाने में जुट गए, इतिहास की नजीरें ढूंढी जाने लगीं, कि कोई रास्ता तो निकले जिससे इन बर्खास्त विधायकों की बहाली हो जाए।  संसदीय ज्ञान रखने वाले लगातार कहते रहे कि चुनाव आयोग के रिक्त स्थान की घोषणा के बाद विधायकों की बहाली मुश्किल है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का आत्मविश्वास कहता रहा, सब संभव है। राज्यपाल की अनुमति के बाद विधायकों की बहाली के लिए विशेष सत्र का एलान हो गया।फिर वही हुआ जो मध्यप्रदेश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। शुक्रवार को जब सदन के विशेष सत्र में विधायकों की बर्खास्तगी का मामला आएगा, तो फिर एक बार इतिहास बनेगा। मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में ये पहली बार होगा जब एक ऐसे मामले की चर्चा सदन में की जाएगी जो मामला पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन है। जो संसदीय नियम कायदों से ताल्लुक नहीं रखते, वो भी इतना तो जानते हीं है कि सदन में उन मामलों पर चर्चा कभी नहीं होती जो न्यायालय में विचाराधीन होते हैं। सदन हमेशा इन मामलों पर चर्चा से बता है। लेकिन इस बार इस मायने में भी मध्यप्रदेश विधानसभा में इतिहास बनने जा रहा है। लेकिन हर मामले में इतिहास बनाने पर आमदा भाजपा की इन कोशिशों के एक बात,आम आदमी ही नहीं कांग्रेसियों के भी समझ से परे हो गई है,कि आख्रिर भाजपा इन बर्खास्त विधायकों की बहाली के लिए इस कदर क्यों तुली हुई है। इतनी फिक्र इतनी परवाह तो खुद कांग्रेस ने नहीं की, जिनकी पार्टी के ये दमदार विधायक कहलाते थे। उस दिन के बाद आज दिन तक कांग्रेस के किएधरे पर नजर दौड़ाएं तो  खुद कांग्रेस ने इन नेताओं के साथ हुई नाइंसाफी को लेकर इतनी आवाज बुलंद नहीं की। जितनी कसरत उनकी वापसी के लिए भाजपा कर रही है। कांग्रेस तो अपने नेताओं की शहादत को एक हफ्ता भी नहीं भुना पाई। एक दिन विधानसभा में धरना और फिर दूसरे दिन युवक कांग्रेस के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम को नया रुप देकर बर्खास्त विधायकों के हक में कांग्रेसियों का प्रदर्शन। खानापूर्ति की तरह कांग्रेस ने अपनी भूमिका निभा दी। राजनीति की राहें रपटीली तो होती हैं लेकिन ये कैसा भटकाव है जिसमें, कांग्रेस के ही नेता अपने बर्खास्त विधायकों की बहाली पर सवाल उठाते सुनाई देते हैं। और स्वस्थ लोकतंत्र की दुहाई देती भाजपा बर्खास्त विधायकों की बहाली के लिए जुटी दिखाई देती है। राजनीति की ये कौन सी रीत है? कैसी सियासी मजबूरी? हर मामले में इतिहास बनाने की ये कैसी जिद है जिसमें सारे कानून कायदे तार तार हुए जाते हैं।

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