बाकी सब अपनी जगह है। लेकिन मीडिया के लिए दिग्विजय सिंह वो नेता है जिसके दरवाजे से कोई बिना खबर लिए कभी नहीं लौटा। खबर भी ऐसी वैसी नहीं। पहले पन्ने की हेडलाइंस। कैमरे के सामने हो या पीछे मीडिया के सामने दिग्गी ने जब मूंह खोला। एक नया खुलासा लेकर। एक ऐसे सनसनीखेज बयान के साथ। जो ना सिर्फ खबर बल्कि सुर्खी बन जाने की हैसियत रखता है। पहले गौर कीजिए गुजरे दो ढाई बरस में दिग्गी के उन बयानों पर जो बवाल बनते रहे हैं।
बयान...बोले तो बवाल....
विकीलिंक्स की तरह दिग्गीलिंक्स के खुलासे.....
---26/11 के हमले के दिन हेमंत करकरे ने मुझे फोन किया था कि मालेगांव धमाकों की जांच का विरोध करने वालों से उन्हे धमकियां मिल रही हैं। करकरे के फोन कॉल्स का खुलासा करने के साथ दिग्विजय ने ये भी कहा कि मुझ पर निशाना इसलिए साधा जा रहा हैक्योंकि मैने हिंदु चरमपंथ के मुद्दे को उठाया है। मध्यप्रदेश सरकार ने उन लोगों को बचाने की कोशिश की है जिनके नाम मालेगांव हमले में आ रहे हैं। मुझ पर दोष लगाया जा रहा है कि मै देशद्रोही हूं। लेकिन हमलों से जुड़े लोगों की रक्षा करना राष्ट्र भक्ति है।
---दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ पर भी दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़े किए।
ओसामा भी हो गए जी
---दुनिया के सबसे खुंखार आतंकवादी ओसामा को ना सिर्फ ओसामा जी कहा। लादेन को समुद्र में दफनाए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया थी कोई कितना बड़ा आतंकवादी हो लेकिन उसके मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार तो उसके धार्मिक रीति रिवाजों से ही होना चाहिए।
बाबा पर दिग्गी बोल.......
बाबा को योग नही आता।
सरकार किसी से डरती तो वो ( बाबा) जेल में होते।
अन्ना के साथ बाबा रामदेव जैसा ही सुलूक किया जा सकता है।
हवाला कारोबारी हैं बाबा रामदेव, उनके दानदाताओं की सूची सार्वजनिक होनी चाहिेए।
बाबा शुध्द बिजनेस बाबा हैं।
संघ पर फिर हमला....
आरएसएस देश में आतंक फैलाने में सक्रीय है। और मुंबई में हुए ताजा आतंकवादी हमले की जांच के दायरे में आतंकवादी संगठनों के साथ हिंदु संगठनों को भी लाया जाना चाहिए।
यहां भी दिग्गी....वहीं भी दिग्गी....
दिग्विजय सिंह की इस सियासत की लाख खिलाफत हो लेकिन उनकी अपनी पार्टी ही नहीं उनके विरोधियों को भी ये तो मानना होगा कि चर्चा में बने रहना कोई दिग्विजय सिंह से सीखे। वो ऐसे अकेले नेता होंगे जिनके बयान पर बवाल तो हुए ही। उस बयान की बदौलत ही सही मध्यप्रदेश में काम्पोज लेकर सोई कांग्रेस मुद्दत बाद सड़कों पर पुलिस के डंडे खाते दिखाई दी। आज सुनिए तो नेताओं की जुबान से लेकर आम आदमी के किस्सों तक और सड़क से लेकर सोशल साइट्स तक कहीं चले जाइये। दिग्विजय सिंह हर जगह मौजूद हैं। गूगल पर दिग्विजय टाइप कीजिए बयानों से लेकर विश्लेषण तक एक तरह से पूरा दिग्गी चालीसा सामने खुल जाएगा। जिनमें कहीं कहीं दिग्गी कॉमेडी के किरदार भी बन गए हैं। इतना ही नहीं फेसबुक जैसी सोशल साइट्स पर भी दिग्गी और उनके बयानों को लेकर डाले गए स्टेट्स पर सैकड़ों की तादात में कमेट्स आते हैं। बानगी देखिये। पहले पढिए दिग्गी कॉमेडी।
दिग्गी के विवादित बयानों का सच....
हैलो रायपुर साइट पर दिलचस्प अंदाज में दिग्गी के विवादित बयानो ंका सच उजागर किया गया है। इसमें बताया गया है कि असल में ये सबकुछ एक इलेक्ट्रानिक उपकरण की खराबी की वजह से हो रहा है। ये उपकरण विदेश से भारत आए एक वैज्ञानिक ने दिग्विजय सिंह को दिया था। शुरुवात के कई सालों तक उपकरण ठीक रहा और दिग्गी को बयान देने का सही मुद्दा और समय बताता रहा। और इसी के चलते वो राजनीति के चाणक्य कहलाते रहे। लेकिन पिछले दो साल से इसमें खराबी आ गई है। हर बार वो गलत मुद्दा वो भी गलत वक्त पर बताता है। अब सुना है कि दिग्विजय सिंह इस उपकरण को ठीक करवाने के लिए परेशान हैं। पर वो वैज्ञानिक है कि अब ढूंढे नहीं मिल रहा।
दिग्गी, आॅल टाइम हाइट
दिग्विजय के बयानो ंपर जनता के दिलचस्प कमेंट्स ---
दिग्विजय राजनीति के राखी सावंत है।
देश में एक आत्मा भटक रही है। इस आत्मा ने पहले प्रवीण तोगड़िया की जबान को अपना बसेरा बनाया था। पर कोर्ट ने उसे खामोश कर दिया। फिर ये भटकती आत्मा दिग्विजय सिंह की जुबान पर जाकर बैठ गई है। दिग्गी राजा खुद नहीं जान पाते कि उनकी जुबान से क्या निकल रहा है।
दिग्विजय सिंह राजपरिवार से हैं। इंजीनियर है। कांग्रेस के महासचिव है। लेकिन वेबसाइट्स पर उनकी खबरों को लेकर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं बेहद दुखद हैं। हां इतना है कि अब सोशल साइट्स की वजह से लोग प्रतिक्रियाओँ के लिए टीवीचैनलों और अखबारों के भरोसे नहीं है। दिल की बात फौरन जाहिर हो रही है।
दिग्गी की तबीयत खराब है,नहीं बाकी सब ठीक है बस जुबान को डायरिया हो गया है।
देखो दिग्गी बोल ना देना।
दिग्गी है कि मानता नहीं।
हुÞड़ हुड़ दबंग दिग्विजय।
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