Sunday, June 28, 2015

खामोशी से गुजर गया बाबा का साइक्लोन..



अन्ना हजारे के बाद देश में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ खड़ा हुआ नया चेहरा । ये भगवाधारी चेहरा है। योग से निरोग होने का फार्मूला देने वाले बाबा रामदेव अब इस देश की सियासत में नया सायक्लोन लाए हैं। लेकिन बाबा का सायक्लोन उलट चल रहा है। भ्रष्ट्राचार और काले धन के खिलाफ चला बाबा का ये चक्रवात केन्द्र में तो कोहराम मचा रहा है। लेकिन परिधि यानि प्रदेश में इसकी कोई हलचल नहीं है। बाबा का सायक्लोन देश के दिल ये भी होकर गुजरा । लेकिन जिस प्रदेश में नेता से लेकर अफसर  बेईमानी  जहां आचरण बन चुकी है उस प्रदेश में बाबा का ये चक्रवात कोई तूफान नहीं लाया। कालेधन और भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अलख जगाती बाबा रामदेव की एक लाख किलोमीटर लंबी यात्रा का आखिरी पड़ाव था मध्यप्रदेश। वो प्रदेश जहां मुख्यमंत्री डंपर कांड में उलझे हैं, तो मंत्री  लोकायुक्त के घेरे में हैं। वो प्रदेश जो करोड़ों का भ्रष्ट्राचार करने वाले अरविंद जोशी और टीनू जोशी जैसे आइएएस अफसरों के नाम से सुर्खियों पाता है। वो प्रदेश जहां अफसर से लेकर बाबू तक रिश्वत का खेल खुलेआम चलता है। उस प्रदेश में आए थे बाबा, कालेधन और भ्रष्ट्राचार के खिलाफ जनता में जगाने। नई अलख जगाने। लेकिन योग सीखा कर चले गए। बाबा का साइक्लोन गुजरा तो लेकिन बेअसर गुजरा।
पर नहीं सुने बाबा के बोलवचन
कालेधन और भ्रष्ट्राचार के खिलाफ देश भर में निकली बाबा रामदेव की यात्रा अपने आखिरी अंतराल में मध्यप्रदेश आई थी। लेकिन भाजपा की सहानुभूति के चलते सतर्क हुए सियासी बाबा ने कहीं ये महसूस ही नहीं होने दिया कि इस बार जन जन को योग सिखाने नहीं, वो भ्रष्ट्राचार को जड़ से मिटाने, देश को निरोगी बनाने निकले हैं। ऐसा नहीं कि बाबा की यात्रा में उन्हे जनसमर्थन नहीं मिला। नौ दिन की उनकी यात्रा में छिंदवाड़ा हो या फिर सीहोर हर जिले में बाबा का एतिहासिक स्वागत हुआ। हजारों की भीड़ बाबा के कार्यक्रमों में इकट्ठा हुई। लेकिन ये बाबा के नए आंदोलन की भीड़ नहीं थी। ये उन लोगों की भीड़ थी जो बाबा से निरोगी काया का योग फार्मूला सीखने आए थे। हर जिले में तड़के पांच बजे से जुटती भीड़। नेताओं के साथ खड़े बाबा उन्हे योग सिखाते और कारवां आगे बढ़ जाता। मध्यप्रदेश में जिन राजनीतिक दलों पर बाबा को निशाना साधना चाहिए था उन दलों के नेता तो बाबा के साथ कदमताल करते दिखाई दे रहे थे। बाबा के बयानों ने दिल्ली में भले आग लगाई हो। लेकिन मध्यप्रदेश के अपने दौरे के दौरान बाबा कुछ नहीं बोले। बाबा रामदेव जो नेताओं की नसीहत देने में कभी देर नहीं लगाते। ऐसे बाबा रामदेव का  सियासी कसरत किए बगैर इस प्रदेश सें खामोशी से निकल जाना ताज्जुब में डालता है। फिर प्रदेश की  भाजपा हो या कांग्रेस, कालेधन और भ्रष्ट्राचार के खिलाफ निकली इस यात्रा से हर पार्टी का नेता पहले ही सतर्क हो गया। ये जानते हैं कि अगर बाबा के बोलवचन चल पड़े तो उनकी बिगड़ी सेहत योग से भी ठीक नहीं होने की। यही वजह थी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर  कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ तक सबने वक्त रहते बाबा के इशारों पर नाचना शुरु कर दिया। बाबा को वक्त रहते साध लिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपने इशारों पर उठक बैठक लगवाते बाबा ने भी वक्त की नजाकत को समझ लिया था जैसे वरना, पूरे देश में कालेधन और भ्रष्ट्राचार पर आग बबूला होने वाले बाबा ने लोकायुक्त में फंसे भाजपा सरकार के मंत्रियों पर ऊंगली क्यों नहीं उठाई। इसी सरकार में करोड़ों डकार जाने वाले अफसरों का भी कोई जिक्र नहीं किया। लेकिन इसी प्रदेश के सीहोर में बैठकर बाबा दिल्ली को हिलाते रहे। कभी प्रधानमंत्री और मुख्यन्यायधीश को लोकपाल के दायरे में ना रखने का बयान देकर और फिर कभी उस बयान से पलटकर।
देश का दिल टटोलने आए बाबा
माना ये जा रहा है कि बाबा ग्यारह दिन की इस प्रदेश यात्रा में देश का दिल टटोलने आए थे। ये जानने आए थे कि हिन्दुस्तान का ये ह्रदय प्रदेश जिसकी राजनीति कांग्रेस से शुरु होकर भाजपा पर खत्म हो जाती है। उस प्रदेश में एक तीसरे दल के लिए कितनी गुंजाइश है। और एक सियासी साध्वी को समर्थन दे चुका ये प्रदेश सियासी बाबा में कितना भरोसा जताता है। जनता बाबा की उम्मीदों पर खरी भी उतरी। उनकी सभाओँ में जनसैलाब भी उमड़ा। लेकिन ये लोग खालिस वो लोग थे जो बाबा से योग सीखने आए थे। उनकी सियासी समझ को जांचने परखने का इन्हे मौका भी नही मिला। अन्ना हजारे भी हजारों के जनसैलाब की बदौलत अन्ना हजारे बने। बाबा के पास भी असल ताकत उस जनता की ही है। लेकिन इस प्रदेश में जनता ने सियासी बाबा को नहीं योग गुरु को अपना समर्थन दिया ै। 2011 को युग बदलने वाला वर्ष बताने वाले बाबा रामदेव। पूरे देश में कालेधन के खिलाफ,भ्रष्ट्राचार के खिलाफ क्रांति लाने वाले रामदेव के लिए बेहतर होता अगर सरकार के अतिथि बनने के बजाए वो जनता के साथ खड़े दिखाई देते। मंच पर मुख्यमंत्री के साथ कसरत करने के बजाए वो अपने बयानों से इस प्रदेश की जनता को ये भरोसा दिला पाते है कि वो भी रोज ठगे जा रहे प्रदेश के आम आदमी की तरह उन भ्रष्ट्र मंत्रियों और अफसरों के सख्त खिलाफ हैं जो देश का धन अपनी तिजोरियों में भर रहे हैं।
खैर ,बाबा के अनशन के एन पहले मध्यप्रदेश में रामदेव की स्वाभिमान यात्रा खत्म हो गई। बाबा का सायक्लोन अपने परिधि में हलचल किए बगैर केन्द्र में तुफान लाने चल दिया। पहले कई बार योग गुरु के साथ कसरत करते रहे इस प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने भी राहत की सांस ले ली कि संकट टल गया। बाबा दिल्ली में केन्द्र सरकार की मुश्किलें बढाते रहें लेकिन मध्यप्रदेश में तो स्वाभिमान यात्रा के साथ बाबा सिर्फ योग सिखाने आए थे।

No comments: