पूर्व संघ प्रमुख के सी सुदर्शन फिर बोले। सोनिया गांधी के बाद अबकि उनके निशाने पर पंडित जवाहरलाल नेहरु हैं। सुदर्शन ने नेहरु का जन्म वेश्यालय में होने का जो आपत्तिजनक बयान दिया है। आजादी के साठ साल बाद वो केवल कांग्रेसियों के ही नहीं किसी भी भारतीय के गले नहीं उतर सकता। सुदर्शन शायद ये भूल गये हैं कि जिस स्तर पर जाकर गाँधी नेहरु को वे कोस रहे हैं। उस स्तर से सोचना भी छोड़ चुका है आम भारतीय। साठ साल में सिर्फ इस मुल्क की आमआदमी की जिन्दगी ने ही रफ्तार नहीं पकड़ी। सोच में भी गति आई है। बदलाव आया है। जो बीत गई सो बात गई के फँडे पर जीता है आम भारतीय । हम आज इतिहास का विश्लेषण तो करते हैं। लेकिन उसे जबरन ढोते नहीं है। हिन्दुस्तान के आम शहरी के लिये सुदर्शन के इस बयान के पहले भी पंडित जवाहर लाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री थे। और उनके इस बयान के बाद भी सामान्य ज्ञान में अक्सर पूछे जाने वाले इस सवाल के जवाब में कोई फर्क नहीं आयेगा। सुदर्शन के कीचड़ उछालने से आजाद हुए आधी सदी बीत जाने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरु की छवि आम भारतीय के मन मस्तिष्क में बदल जायेगी ऐसा भी नहीं है । अगर ये संघ का कोई हिडन एजेंडा है,और संघ को लगता है कि इस स्तर पर जाकर गांधी नेहरु परिवार को कोसने से संघ का हिंदु राष्ट्र का सपना सच हो सकता है। तो चाहे तो संघ सुदर्शन के इस तरह के बयानों को लेकर गांधी नेहरु के खिलाफ देशव्यापी अभियान चला ले। लेकिन तय है कि इससे कांग्रेस की सेहत पर कोई असर नही होगा। ना ही इतिहास के इन नेताओं को आम आदमी की सोच बदलेगी। फर्क पड़ेगा तो रेडी फॉर सेल्फलेस सर्विस के नाम के साथ अपनी पहचान बदलने में लगे संघ की छवि पर। संघ की उस छवि पर जिसके लिये कहा जाता है कि स्वयंसेवक केवल सेवा में यकीन करता है। प्रचार में नहीं। असर संघ की उस छवि पर पड़ेगा जिसमें कहा जाता है कि संघ केवल एक संगठन नहीं विचारधारा है। हिंदु राष्ट्र निर्माण के लिये बनाया गया जीवनदानी कार्यकर्ताओं का एक ऐसा समूह जिसके नेता आमतौर पर टिप्पणी से भी परहेज करते हैं। फिर व्यक्तिगत रुप से किसी की चरित्र हत्या तो बहुत दूर की बात है। असल में संघ प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद अपने इन अनर्गल बयानों से सुदर्शन संघ की ही लाइन के समानान्तर एक ऐसी लकीर खींचते चल रहे हैं। जो आगे चलकर संघ के खिलाफ खड़ी हो जायेगी। पंडित जवाहर लाल नेहरु के बारे में ये बयान संघ प्रमुख ने किसी आमजन की सभा में नहीं प्रबुध्द नागरिकों की गोष्ठी में दिया है। और बुध्दिजीवी के वर्ग में केवल सुदर्शन की ही नहीं संघ के लिये जो सोच है। उसमें जाहिर तौर पर इस बयान के बाद बदलाव आयेगा। क्रिक्रेट की भाषा में कहें तो सुदर्शन का बयान ही नही उसकी टाइमिंग भी बिल्कुल गलत है। उन्होने ये बयान उस वक्त में दिया है। जब देश क्रिक्रेट की जीत में एकजुट होना सीख रहा है। जब अर्से बाद अन्ना हजारे के साथ देश खुद ब खुद गांधीगिरी के लिये खड़ा हो रहा है। भ्रष्ट्र नेताओं और भ्रष्ट्राचार के खिलाफत करते सड़कों पर आ रहा है। ऐसे वक्त में भारत के इतिहास के नायकों पर उछाली गई कींचड़ के छींटे वापिस भी आ सकते हैं। या फिर ये मान लिया जाये कि कभी संघ को अनुशासन और संयम की सीख देने वाले सुदर्शन की जबान अब उनके बस में नहीं रही। मान लिया जाये कि ढलती उम्र अब उन पर हावी होने लगी है। लेकिन सुदर्शन की बवाल उठाती बातों पर इस तरह के खेद जता कर भी संघ अपना दामन तो नहीं बचा सकता। इतना जरुर हो सकता है कि संघ समय रहते अपने परिवार के इस बुजुर्ग को ससम्मान वृध्दाश्रम में विश्राम करने भेज दे। ये सुदर्शन की सेहत के लिये भी बेहतर होगा। और उस संघ के लिये भी मुफीद। जो अपने पूर्व प्रमुख की फिसलती जबान से निकले ऐसे अनर्गल बयानों पर सफाई दे पाने की स्थिति में भी नहीं है।
Sunday, June 28, 2015
वृध्दश्रम जायें अब सुदर्शन
पूर्व संघ प्रमुख के सी सुदर्शन फिर बोले। सोनिया गांधी के बाद अबकि उनके निशाने पर पंडित जवाहरलाल नेहरु हैं। सुदर्शन ने नेहरु का जन्म वेश्यालय में होने का जो आपत्तिजनक बयान दिया है। आजादी के साठ साल बाद वो केवल कांग्रेसियों के ही नहीं किसी भी भारतीय के गले नहीं उतर सकता। सुदर्शन शायद ये भूल गये हैं कि जिस स्तर पर जाकर गाँधी नेहरु को वे कोस रहे हैं। उस स्तर से सोचना भी छोड़ चुका है आम भारतीय। साठ साल में सिर्फ इस मुल्क की आमआदमी की जिन्दगी ने ही रफ्तार नहीं पकड़ी। सोच में भी गति आई है। बदलाव आया है। जो बीत गई सो बात गई के फँडे पर जीता है आम भारतीय । हम आज इतिहास का विश्लेषण तो करते हैं। लेकिन उसे जबरन ढोते नहीं है। हिन्दुस्तान के आम शहरी के लिये सुदर्शन के इस बयान के पहले भी पंडित जवाहर लाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री थे। और उनके इस बयान के बाद भी सामान्य ज्ञान में अक्सर पूछे जाने वाले इस सवाल के जवाब में कोई फर्क नहीं आयेगा। सुदर्शन के कीचड़ उछालने से आजाद हुए आधी सदी बीत जाने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरु की छवि आम भारतीय के मन मस्तिष्क में बदल जायेगी ऐसा भी नहीं है । अगर ये संघ का कोई हिडन एजेंडा है,और संघ को लगता है कि इस स्तर पर जाकर गांधी नेहरु परिवार को कोसने से संघ का हिंदु राष्ट्र का सपना सच हो सकता है। तो चाहे तो संघ सुदर्शन के इस तरह के बयानों को लेकर गांधी नेहरु के खिलाफ देशव्यापी अभियान चला ले। लेकिन तय है कि इससे कांग्रेस की सेहत पर कोई असर नही होगा। ना ही इतिहास के इन नेताओं को आम आदमी की सोच बदलेगी। फर्क पड़ेगा तो रेडी फॉर सेल्फलेस सर्विस के नाम के साथ अपनी पहचान बदलने में लगे संघ की छवि पर। संघ की उस छवि पर जिसके लिये कहा जाता है कि स्वयंसेवक केवल सेवा में यकीन करता है। प्रचार में नहीं। असर संघ की उस छवि पर पड़ेगा जिसमें कहा जाता है कि संघ केवल एक संगठन नहीं विचारधारा है। हिंदु राष्ट्र निर्माण के लिये बनाया गया जीवनदानी कार्यकर्ताओं का एक ऐसा समूह जिसके नेता आमतौर पर टिप्पणी से भी परहेज करते हैं। फिर व्यक्तिगत रुप से किसी की चरित्र हत्या तो बहुत दूर की बात है। असल में संघ प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद अपने इन अनर्गल बयानों से सुदर्शन संघ की ही लाइन के समानान्तर एक ऐसी लकीर खींचते चल रहे हैं। जो आगे चलकर संघ के खिलाफ खड़ी हो जायेगी। पंडित जवाहर लाल नेहरु के बारे में ये बयान संघ प्रमुख ने किसी आमजन की सभा में नहीं प्रबुध्द नागरिकों की गोष्ठी में दिया है। और बुध्दिजीवी के वर्ग में केवल सुदर्शन की ही नहीं संघ के लिये जो सोच है। उसमें जाहिर तौर पर इस बयान के बाद बदलाव आयेगा। क्रिक्रेट की भाषा में कहें तो सुदर्शन का बयान ही नही उसकी टाइमिंग भी बिल्कुल गलत है। उन्होने ये बयान उस वक्त में दिया है। जब देश क्रिक्रेट की जीत में एकजुट होना सीख रहा है। जब अर्से बाद अन्ना हजारे के साथ देश खुद ब खुद गांधीगिरी के लिये खड़ा हो रहा है। भ्रष्ट्र नेताओं और भ्रष्ट्राचार के खिलाफत करते सड़कों पर आ रहा है। ऐसे वक्त में भारत के इतिहास के नायकों पर उछाली गई कींचड़ के छींटे वापिस भी आ सकते हैं। या फिर ये मान लिया जाये कि कभी संघ को अनुशासन और संयम की सीख देने वाले सुदर्शन की जबान अब उनके बस में नहीं रही। मान लिया जाये कि ढलती उम्र अब उन पर हावी होने लगी है। लेकिन सुदर्शन की बवाल उठाती बातों पर इस तरह के खेद जता कर भी संघ अपना दामन तो नहीं बचा सकता। इतना जरुर हो सकता है कि संघ समय रहते अपने परिवार के इस बुजुर्ग को ससम्मान वृध्दाश्रम में विश्राम करने भेज दे। ये सुदर्शन की सेहत के लिये भी बेहतर होगा। और उस संघ के लिये भी मुफीद। जो अपने पूर्व प्रमुख की फिसलती जबान से निकले ऐसे अनर्गल बयानों पर सफाई दे पाने की स्थिति में भी नहीं है।
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