Sunday, June 28, 2015

कसरत का धर्म तो तंदरुस्ती है



मध्यप्रदेश में सूर्य नमस्कार पर फिर शुरु हुई सियासत। मध्यप्रदेश में ये लगातार पांचवा साल है,जब सरकार के स्कूली बच्चों को योग कराने के फैसले पर पहले सियासत हुई है फिर हुआ है सूर्य नमस्कार। लेकिन सूर्य नमस्कार की तह में जाइए। गुगल पर विकीपीडिया में इस शब्द का अर्थ तलाशेंगे, तो पाएंगे कि सूर्य नमस्कार किसी धर्म विशेष की पूजा नहीं। योग आसनों में सर्वश्रेष्ठ आसन है, एक अकेला ऐसा अभ्यास जिसे करने के बाद आप पूरी योग क्रियाओं का लाभ ले सकते हैं, और शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। और ये हम सब जानते हैं कि कसरत का एक ही धर्म होता है शरीर को स्वस्थ रखना। वो हिंदु मुस्लिम का भेद नहीं करती। हिंदु कसरत करेगा तो स्वस्थ रहेगा मुस्लिम करेगा तो वो भी तंदरुस्त हो जाएगा। खैर विकीपीडिया में सूर्य नमस्कार को समझने के जेहमत कोई नहीं उठाता और हर साल यही होता है कि विवेकानंद की जयंती के एन पहले सूर्य नमस्कार पर भगवा रंग चढा कर उसकी खिलाफत शुरु हो जाती है। विपक्षी दलों को इस योगाभ्यास की आड़ में सत्ता में बैठी पार्टी को कोसने का मौका मिल जाता है। कांग्रेसी कहते हैं कि सूर्य नमस्कार के जरिए भाजपा प्रदेश के स्कूली बच्चों को भी भगवा ब्रिगेड में खड़ा करने की तैयारी कर रही है। मीडिया के लिए भी हर साल 12 जनवरी के पहले और बाद में सूर्यनमस्कार के साथ नई खबर पक जाती है। इस बार भी खबर बनी, सरकार की तरफ से ये कि इस बार पचास लाख छात्रों के एक साथ सूर्य नमस्कार के साथ रिकार्ड बनेगा, और खिलाफत में ये कि सूर्य नमस्कार के खिलाफ भोपाल में शहर काजी ने फतवा भी जारी कर दिया है। किसी भी मजहब के पूजा आराधना के तरीके पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। उस पर कोई टिप्पणी और सवाल होने भी नहीं चाहिए।  ये सही है कि इस्लाम में मूर्ति पूजा नहीं होती। इस लिहाज से सूर्य नमस्कार को जिस तरह से प्रस्तुत किया गया उसका विरोध भी जायज सा लगता है। सरकार ने किसी भी विवाद से बचने के लिए ये कहा भी है कि सूर्य नमस्कार में स्वेच्छा से छात्र हिस्सा ले सकते हैं,सूर्य नमस्कार करने को लेकर किसी तरह की बाध्यता नहीं है। लेकिन मुश्किल यही है कि सूर्य नमस्कार को एक योगासन की तरह स्वीकार किया ही नहीं गया। योग शुरु होता उसके पहले खड़े हो गए सवाल,और इतने सालों में इस बात की कोशिश कहीं से नहीं हुई कि सूर्य नमस्कार को लेकर जो भ्रम, जो गलतफहमी लोगों में है उसे दूर किया जाए। उन्हे समझाया जाए कि सूर्य नमस्कार सूर्य की आराधना पूजा, इबादत नहीं है। ये आसन है। योगाभ्यास है। और फिर दलील ये भी है कि किसी धर्म विशेष के ही लोग भले सूर्य को देवता माने लेकिन इस पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान को इतना तो मंजूर करना ही होगा कि सूरज सबका है। सबको बराबर रोशनी देता है। वो तो मजहब नहीं देखता। धर्म देखकर रोशनी में फर्क नहीं करता। सूर्य नमस्कार कतई मत कीजिए। लेकिन योग करने में कोई बुराई नहीं, सूर्य नमस्कार इस नाम पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन योगासन पर कोई सवाल खड़ा करना बेमानी है। इस योग के दम पर तो भारत पूरी दुनिया का गुरु कहलाता आया है। तो गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए नहीं। भगवा सरकार का भगवा फैसला मानकर नहीं। केवल अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आप अलस्सुबह योग कीजिए। यकीन मानिए सियासत होती रहे, लेकिन इससे आप स्वस्थ रहेंगे ये गारंटी है।

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