हिन्दुस्तान की राजनीति उस दौर में है, जब किसी भी नेता के साथ करोड़ों के घोटाले उनकी, काबिलियत के तौर पर जुड़े रहते हैं। अरबों के घोटाले में नेता तिहाड़ जाते हैं और बरी हो जाते हैं। राजनीति चलती रहती है। घोटालों से बदनाम भी होते है
नेता तो कुछ महीनों बाद फिर किसी पद के साथ कहीं प्रतिष्ठा पा जाते हैं। पार्टी कोई हो, ये कहानी नहीं बदलती। छंटनी करने बैठेंगे तो बेदाग नेता अलग कर पाना मुश्किल हो जाएगा। एक ऐसे वक्त में,जब राजनीति और राजनेता भरोसे के काबिल नहीं रहे। ऐसे वक्त में जब नेताओं के लिए सर्वमान्य उक्ति बन गई कि नेताजी कमाई में कभी पीछे नहीं रहते। ऐसे वक्त में, मध्यप्रदेश भाजपा ने अपनी पार्टी के एक ऐसे नेता का सम्मान किया है। पचास साल लंबी राजनीतिक यात्रा में जिसने ठोकर जरुर खाई लेकिन राजनीति की रपटीली राहों पर कभी अपने पैरों को फिसलने नहीं दिया। इस नेता की काबिलियत उसका संघर्ष, समर्पण और सादगी में बीता जीवन है। राजनीति के संत की उपाधि पा लेने वाले कैलाश जोशी जैसे नेता अब कहां देखने को मिलते हैं। शायद इसीलिए भाजपा ने कैलाश जोशी का सम्मान किया। उनकी पचास साल की बेदाग संसदीय यात्रा का मान किया। लेकिन ये अभिनंदन केवल कैलाश जोशी का नहीं है। ये सम्मान है उस संघर्ष का उस सच्चाई का उन मूल्यों का, जिनके साथ चलते जोशी सियासत की रफ्तार में, समाज के तामझाम में भले पीछे छूटे दिखाई देते हों। लेकिन आज वो उस मुकाम पर जा खड़े हुए हैंं, जहां अब उनके आगे पीछे कोई कतार नहीं है। कैलाश जोशी का सम्मान, उम्मीद बंधाता है, राजनीति से घबराए उस नौजवान को, कि बिना दागदार हुए भी राजनीति की जा सकती है। कि लड़खड़ाए बिना भी तय किए जा सकते हैं सियासत के मुश्किल रास्ते। आज की राजनीति में भला,कहां हैं ऐसे नजारे की कोई समाजवादी नेता, ठेठ जनसंघी नेता की अच्छाईयां गिनाता दिखाई दे। जीते जी तो कम से कम किसी नेता को ये सौभाग्य नहीं मिलता। एक दूसरे को अपने बयानों से नीचा दिखाने वाली, एक दूसरे के खिलाफ सीडी और पर्चे बंटवाने वाली आज की राजनीति में कोई नेता दूसरे दल के नेता के सम्मान में लिखे, ये भी कहां होता है। लेकिन कैलाश जोशी के अभिनंदन ग्रंथ में उनके नाम दो पन्ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह ने भी लिख्खे हैं। ये पहली बार हुआ कि भाजपा की हर करवट पर बयान देने वाली कांग्रेस ने, कैलाश जोशी के भारी तामझाम के साथ हुए अभिनंदन समारोह और शहर भर में लगे उनके होर्डिंग््स पर कोई सवाल नहीं उठाए। ये संकेत हैं, कि कितने नीचे आ गया हो राजनीति का ग्राफ लेकिन कुछ नैतिकता तो अब भी बाकी है। आयोजन भले भाजपा ने किया हो। लेकिन इस स्वस्थ परंपरा को हर राजनीतिक दल को अपनाना चाहिए। ऐसा नहीं कि कांग्रेस, जनता दल, और बहुजन समाज पार्टी में कैलाश जोशी मार्का नेता नहीं होंगे। होंगे तो लेकिन वो अब तक चीन्हे नहीं गए। जितने लोग उन्हे जानते बूझते होंगे उनके किस्सों में भले वो तारीफें पा जाते हों। लेकिन अब तक सार्वजनिक मंचों पर ये नेता कभी सराहे नहीं गए। कोशिश होनी चाहिए कि हर दल अपनी अपनी पार्टी के कैलाश जोशियों को ढूंढ निकाले, उनका सार्वजनिक अभिनंदन करे। राजनीति में लोगों का यकीन लौटा लाने जरुरी है ये। राजनीतिक दल ही क्यों, समाज से भी शुरुवात हो। ढूंढ निकाले अपने अपने बीच के हीरो। ताकि लोगों का पक्का होता जा रहा ये यकीन टूट जाए कि मेहनत,ईमानदारी और सच्चाई का, कभी कोई सिला नहीं मिलता।
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