Tuesday, June 30, 2015

कांग्रेस का हाथ अब जेब पर.




यूपीए सरकार के विवादित आर्थिक सुधारों के खिलाफ भारत बंद का एलान भले एनडीए और गैर यूपीए दलों ने किया हो। लेकिन इस बार पूरा भारत बंद हुआ आम जनता की बदौलत हुआ । टेलीविजन पर और अखबारों की तस्वीरों में रेलें रोकते, दुकानें बंद करवाते भले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता दिखाई दे रहे हों। लेकिन हकीकत ये है कि मंहगाई की मार से कराह रहा आम आदमी खुद भारत बंद में शामिल हुआ था। किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं, किसी की समझाइश नहीं भारत बंद रखना आम आदमी का अपना फैसला था। यही वजह है कि व्यापारियों ने खुद आगे बढकर अपने प्रतिष्ठान बंद कर दिए। मध्यप्रदेश में भोपाल को इस बंद से हांलाकि मुक्त रखा गया, लेकिन बावजूद इसके, जो बंद का समर्थन करते थे उन व्यवसाईयों ने इस छूट के बावजूद अपनी दुकानें नहीं खोलीं। ये जागरूक हो रही जनता की तस्वीर है। अब जनता अपना जवाब खुद देना भी सीख रही है। राजनीतिक दलों को इस बंद से क्या नफा और नुकसान होगा वो अपनी जगह है लेकिन जनता ने तो अपने अंदाज में बता दिया है कि उन्होने मंहगाई बर्दाश्त नहीं। वरना ऐसा कम ही होता है। आमतौर पर तो बंद राजनीतिक मकसद के साथ होते हैंऔर जनता इन आंदोलनों में केवल इस्तेमाल के लिए होती है, लेकिन यूपीए सरकार के खिलाफ हुआ भारत बंद राजनीतिक दलों से पहले, आम जनता का सरकार को सीधा जवाब है कि अब जनता सरकार की थोपी गई मंहगाई को बर्दाश्त नहीं करेगी। उस पर मध्यप्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में तो स्थिति और भी खराब है। यहां जनता की नाराजगी दूसरे राज्यों के मुकाबले और भी ज्यादा है। वजह ये कि भारत बंद के एलान के ठीक एक दिन पहले कांग्रेस शासित राज्यों पर सरकार मेहरबान हो गई। सबकुछ सरकार के ही हाथ में है तो यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ये निर्देश दे दिए कि इन राज्यों में रियायती गैस सिलेंडर छै के बजाए नौ दिए जाएंगे। इन राज्यों में हर परिवार को जो तीन अतिरिक्त सिलेंडर दिए जाएंगे उनकी सब्सिडी सरकार वहन करेंगी। सिर्फ कांग्रेस नहीं सोनिया गांधी  कांग्रेस के साथ चल रही साझा सरकारों वाले राज्यों में भी ये रियायत देने जा रही है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि जनता को राहत देने में भी राजनीति की जा रही है। यानि अगर आप कांग्रेस शासित राज्यों में नहीं रहते तो इस मंहगाई को भुगतनी आपकी मजबूरी है। और अगर कांग्रेस के राज में आप रहते हैं तो खुशकिस्मत हैं आप, क्योंकि आप पर पढने वाले मंहगाई के बोझ में अब सरकार भी हिस्सेदार बनेगी। क्योंकि यहां कातिल ही मुंसिफ है, सरकार के हाथ में है सबकुछ, मंहगाई बढाने वाले भी और राहत देने वाले भी। लेकिन ये फैसला लेते वक्त सोनिया गांधी को ये भी सोचना चाहिए था कि वे केवल भाजपा शासित राज्यों की सरकारों से भेदभाव नहीं कर रहीं, ये तो आम जनता के साथ भी बंदरबांट वाली स्थिति है। कि जैसे अंधा बांटे रेवड़ी और चीन्ह चीन्ह के दे। कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ का नारा दोहराने वाली कांग्रेस नेता को भला अब कौन समझाए कि आम आदमी केवल कांग्रेस शासित राज्यों में ही नहीं रहता, भाजपा की सरकार वाले राज्यों में भी गरीब और लाचार लोग बसते हैं। आपकी राजनीति वो बेचारे क्या जानें कि भाजपा सरकार के राज में रहना उनके लिए गुनाह हो जाएगा। कांग्रेस  को समझाने चाहिए कि जनता के लिए गढा गया कांग्रेस का नारा खुद जनता ही ना बदल दे, कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ नहीं आम आदमी की जेब पर है।

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