Sunday, June 28, 2015

अब तो फार्म में आओ कांग्रेसियों



परीक्षा के बहुत पहले इम्तेहान के लिए तैयार हो जाने वाले छात्र की तरह भाजपा ने चुनाव के दो साल पहले ही चुनावी तैयारी शुरु कर दी है। अर्से बाद फिर हुआ ये प्रयोग कि नेता पांच साल के पहले भी जनता का दर्द पूछने उसके दरवाजे पर जाएं। भाजपा की विकास यात्रा कुछ इसी तरह का प्रोग्राम है। जिस तरह से भाजपा संगठन और सरकार ने इस पूरी यात्रा की प्लानिंग की है। खाका खींचा। जिस तरह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस यात्रा के साथ जनता के बीच जा रहे हैं और उनकी आत्मीयता पा रहे हैं। ये सारी तस्वीरें कहती हैं कि यात्रा अगले विधानसभा चुनाव में ये यात्रा असर दिखाएगी, और भाजपा के नंबर बढाएगी। चलिए, यात्रा से सियासी दलों को होने वाले नफे नुकसान को भी छोड़ दें, तो इतना तो मानेंगे आप भी कि इस यात्रा ने मौसम की तरह न्यूनतम तापमान को छू रही इस प्रदेश की राजनीति का पारा तो बढा ही दिया है। कम से कम विरोध ही दर्ज कर दें वाले,अंदाज में कांग्रेस सवाल उठा रही है कि ये यात्रा आखिर है किसकी ? संगठन की है य फिर सरकार की ?  कांग्रेस धरने दे रही है। ज्ञापन सौंप रही है। लेकिन भाजपा इस सबसे बेपरवाह अपने काम में जुटी है। जिनके कंधों पर ये पार्टी खड़ी है उस कार्यकर्ता से लेकर प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा तक और सरकार के विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक, भाजपा की तीसरी पारी का मंत्र लिए विकास यात्रा पर निकल पड़े हैं। सरकार के सिपहसालार खूबियां गिना रहे है,संगठन खामियां भी पूछ रहा है। लेकिन इस तालमेल का सार यही है कि जनता को ये भरोसा हो जाए कि भाजपा की सरकार ही है जो हर कदम पर इस सूबे के आम आदमी के साथ खड़ी है। भाजपा जनता के बीच गई तो ये जानने है कि आठ साल बाद पार्टी और उसकी सरकार कितने पानी में है। लेकिन भाजपा के लिए तसल्ली की बात है कि फिलहाल जनता ने आईना नहीं दिखाया। जनता का शुरुवाती रुझान ये कहता है कि शिकायतें तो हैं लेकिन जनता में सरकार के खिलाफ गुस्सा नही है। उधर कांग्रेस विकास यात्रा का विरोध भ्रष्टाचार के आरोपों से कर रही है। इन आरोपों में जनता कहीं नहीं है। असल में होना ये चाहिए था कि जिस तरह से भाजपा दांए बांए देखे बगैर नाक की सीध में हर महीने नए कार्यक्रम के साथ आगे बढ रही है। कांग्रेस को भी चाहिए था कि वो एक कुशल विपक्ष की तरह केवल बयानों में अपनी मौजूदगी  दर्ज कराने के बजाए, अपना मौलिक आंदोलन खड़ा करती। विरोध दर्ज कराती । अब भी कांग्रेस को चाहिए कि वो शिवराज की ब्रांडिग को कोसने के बजाए उनके इमोशनल मैनेजमेंट में सेंध लगाए। जनता की शिकायतों को गुस्से में बदले और फिर चाहे जितने धरने करे। ज्ञापन सौंपे। नारे लगाए। जब जनता कांग्रेस के साए में खड़े होकर अपना दर्द सुनाएगी, तो वाकई महसूस होगा कि विकास यात्रा भाजपा सरकार और संगठन का कोरा पब्लिसिटी स्टंट है। जब तक कांग्रेसी इस फार्म में नहीं आते तब तक भाजपा का हर फार्मूला कामयाब है,और पांव पांव वाले भैय्या के जनता को लुभाने वाले सारे टोटके असरदार।

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