राजनीतिक दल रोजी, रोटी और मकान के वादे करते हैं। सरकारें शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार देने के दावे करती हैं। लेकिन आम आदमी से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं होती हैं, सरकार से ज्यादा जो समाज के दायरे में आ जाती हैं। गांव देहात में मुंह अंधेरे महिलाओं का शौच जाना एक ऐसी ही समस्या है। ये एक ऐसा विषय है जिस पर महिलाओं के हक की बात करने वाले महिला संगठनों ने भी कभी बहुत खुलकर बात नहीं की। एक बारगी सोचिए जरा,कितना मुश्किल होता होगा, मुंह अंधेरे महिलाओं का सिर्फ इसलिए शौच को जाना कि फिर दिन के उजियारे में औरत की अस्मिता पर सवाल ना खड़े हो जाएं। ये और बात है कि खुले में तो पुरुष भी शौच जाने से परहेज करते हैं। खैर, सदियों से सिलसिला चलता रहा और गरीबी की तरह, इस कुव्यवस्था को भी महिलाओं ने अपने जीवन की नियति मान लिया। रही बात समाज की तो समाज ने भी कभी सवाल नहीं उठाए अपनी और से इन हालात को बदलने की कोई कोशिश भी नहीं की। लेकिन पहली बार सरकार ने इस ओर अपनी चिंता दिखाई है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार वाकई तारीफ की हकदार है। जो औरतों की हिफाजत के लिए उनके अपने घर में शौचालय बनवाने प्रदेश के गांव गांव में मर्यादा अभियान शुरु करने जा रही है। समाज जो तस्वीर ना बदल सका सरकार उस तस्वीर को बदलने की कोशिश कर रही है। शिवराज सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस मर्यादा अभियान की शुरुवात की है। औरत की मर्यादा को ध्यान में रखते तैयार किए गए इस अभियान में घर में शौचालय बनवाने का पूरा खर्च अब सरकार उठाएगी। घर में टॉयलेट बनवाने सरकार से मिलेगी नौ हजार की मदद, और इच्छुक परिवार को केवल नौ सौ रुपए अपनी ओर से मिलाने होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते साल जब बेटी बचाओ अभियान के प्रचार प्रसार पर लाखों रुपए खर्च किए थे, तो कई सवाल खड़े हुए थे। लेकिन सरकार की सरपरस्ती में महिलाओं की मर्यादा के मद्देनजर शुरु हुआ ये मर्यादा अभियान तस्दीक है इस बात की, कि महिलाओं के विषय में सरकार की फिक्र सतही नहीं है। गांव के हर घर में, शौचालय के लिए मिलने वाली नौ हजार रुपए की सरकारी मदद गांव की तस्वीर से पहले औरत की तकदीर बदल देगी । औरतों की सुरक्षा उनकी शिक्षा पर बहस चलती रही। पर अब तक कहां किसी सरकार ने ये ख्याल किया। एक दम जमीन पर ऐसा कोई बदलाव नहीं आया जिसे औरत की सुरक्षा, उसकी मर्यादा को बचाने की कोशिश कहा जा सके। अगर ये अभियान कामयाब रहता है,दूसरे सरकारी एलानों की तरह होर्डिंग्स के सरकारी प्रचारों में दिखने के बजाए जमीन पर भी आता है। तो गांव देहात में रहने वाली महिलाओं को, सरकार की ओर से मिली ये बड़ी राहत होगी। भारतीय समाज पर कितना बड़ा दाग है ये कि परंपराओं में बंधी हमारे देश की महिलाएं वैसे तो पुरुषों से पर्दा करती हैं। लेकिन उन्ही महिलाओं को अपने नितांत निजी दैनिक कार्य के लिए भी सार्वजनिक जगहों पर जाना पड़ता है। गांव देहात से कई बार इस तरह की खबरें भी आती हैं, कि फलां गांव में खुले में, शौच के लिए गई महिला के साथ बदसलूकी की गई। बदसलूकी करने वाले को सजा भी मिल जाती है। लेकिन इसके बावजूद औरत के साथ इंसाफ तो फिर भी नहंीं होता। वो तो फिर दिल में दहशत लिए, वक्त से पहले मूंह अंधेरे उठकर शौच के लिए खेतों की मेढों के पीछे, दालन में पेड़ों की ओट में जाने को मजबूर बनी रहती है। मुमकिन है कि मर्यादा अभियान के साथ जब गांव के घर घर में सरकारी मदद से शौचालय बनेंगे तो ये हालात भी बदलेंगे। सियासत और उसके पैमाने अपनी जगह हैं लेकिन फिलहाल महिलाओं के लिए शिवराज सरकार का सूचकांक, संवेदनशीलता को छू रहा है।
Tuesday, June 30, 2015
ताकि मर्यादा बची रहे...
राजनीतिक दल रोजी, रोटी और मकान के वादे करते हैं। सरकारें शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार देने के दावे करती हैं। लेकिन आम आदमी से जुड़ी कई ऐसी समस्याएं होती हैं, सरकार से ज्यादा जो समाज के दायरे में आ जाती हैं। गांव देहात में मुंह अंधेरे महिलाओं का शौच जाना एक ऐसी ही समस्या है। ये एक ऐसा विषय है जिस पर महिलाओं के हक की बात करने वाले महिला संगठनों ने भी कभी बहुत खुलकर बात नहीं की। एक बारगी सोचिए जरा,कितना मुश्किल होता होगा, मुंह अंधेरे महिलाओं का सिर्फ इसलिए शौच को जाना कि फिर दिन के उजियारे में औरत की अस्मिता पर सवाल ना खड़े हो जाएं। ये और बात है कि खुले में तो पुरुष भी शौच जाने से परहेज करते हैं। खैर, सदियों से सिलसिला चलता रहा और गरीबी की तरह, इस कुव्यवस्था को भी महिलाओं ने अपने जीवन की नियति मान लिया। रही बात समाज की तो समाज ने भी कभी सवाल नहीं उठाए अपनी और से इन हालात को बदलने की कोई कोशिश भी नहीं की। लेकिन पहली बार सरकार ने इस ओर अपनी चिंता दिखाई है। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार वाकई तारीफ की हकदार है। जो औरतों की हिफाजत के लिए उनके अपने घर में शौचालय बनवाने प्रदेश के गांव गांव में मर्यादा अभियान शुरु करने जा रही है। समाज जो तस्वीर ना बदल सका सरकार उस तस्वीर को बदलने की कोशिश कर रही है। शिवराज सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इस मर्यादा अभियान की शुरुवात की है। औरत की मर्यादा को ध्यान में रखते तैयार किए गए इस अभियान में घर में शौचालय बनवाने का पूरा खर्च अब सरकार उठाएगी। घर में टॉयलेट बनवाने सरकार से मिलेगी नौ हजार की मदद, और इच्छुक परिवार को केवल नौ सौ रुपए अपनी ओर से मिलाने होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते साल जब बेटी बचाओ अभियान के प्रचार प्रसार पर लाखों रुपए खर्च किए थे, तो कई सवाल खड़े हुए थे। लेकिन सरकार की सरपरस्ती में महिलाओं की मर्यादा के मद्देनजर शुरु हुआ ये मर्यादा अभियान तस्दीक है इस बात की, कि महिलाओं के विषय में सरकार की फिक्र सतही नहीं है। गांव के हर घर में, शौचालय के लिए मिलने वाली नौ हजार रुपए की सरकारी मदद गांव की तस्वीर से पहले औरत की तकदीर बदल देगी । औरतों की सुरक्षा उनकी शिक्षा पर बहस चलती रही। पर अब तक कहां किसी सरकार ने ये ख्याल किया। एक दम जमीन पर ऐसा कोई बदलाव नहीं आया जिसे औरत की सुरक्षा, उसकी मर्यादा को बचाने की कोशिश कहा जा सके। अगर ये अभियान कामयाब रहता है,दूसरे सरकारी एलानों की तरह होर्डिंग्स के सरकारी प्रचारों में दिखने के बजाए जमीन पर भी आता है। तो गांव देहात में रहने वाली महिलाओं को, सरकार की ओर से मिली ये बड़ी राहत होगी। भारतीय समाज पर कितना बड़ा दाग है ये कि परंपराओं में बंधी हमारे देश की महिलाएं वैसे तो पुरुषों से पर्दा करती हैं। लेकिन उन्ही महिलाओं को अपने नितांत निजी दैनिक कार्य के लिए भी सार्वजनिक जगहों पर जाना पड़ता है। गांव देहात से कई बार इस तरह की खबरें भी आती हैं, कि फलां गांव में खुले में, शौच के लिए गई महिला के साथ बदसलूकी की गई। बदसलूकी करने वाले को सजा भी मिल जाती है। लेकिन इसके बावजूद औरत के साथ इंसाफ तो फिर भी नहंीं होता। वो तो फिर दिल में दहशत लिए, वक्त से पहले मूंह अंधेरे उठकर शौच के लिए खेतों की मेढों के पीछे, दालन में पेड़ों की ओट में जाने को मजबूर बनी रहती है। मुमकिन है कि मर्यादा अभियान के साथ जब गांव के घर घर में सरकारी मदद से शौचालय बनेंगे तो ये हालात भी बदलेंगे। सियासत और उसके पैमाने अपनी जगह हैं लेकिन फिलहाल महिलाओं के लिए शिवराज सरकार का सूचकांक, संवेदनशीलता को छू रहा है।
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