Sunday, June 28, 2015

फिर जनता करेगी इलाज




पूर्व स्वास्थ्य संचालक योगीराज शर्मा के घर मिली नोट गिनने की मशीन अभी प्रदेश के लोगों के जेहन से उतरी भी नहीं थी कि सौ करोड़ के हैल्थ डायरेक्टर डॉ अमरनाथ मित्तल ने स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के सारे पुराने रिकार्ड तोड़ दिए।  हांलाकि हेल्थ से अपनी वेल्थ बढाने वाले अफसरों में मित्तल का नाम बहुत बाद में आता है। उनके पहले योगीराज शर्मा, अशोक शर्मा, बी एन चौहान समेत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त है।  साल दर साल इस विभाग में कमाई का ग्राफ बढता रहा। लेकिन बीते कुछ सालों में तो स्वास्थ्य विभाग में करप्शन करोड़ों में पहुंच रहा है। बीमार से बेईमान करके जुटाए इस आंकड़े को देख रहा इस सूबे का आम आदमी हैरान है। हैरान ही हो सकता है। वो इसलिए कि जिस प्रदेश के गांव में अब भी इलाज के अभाव में प्रसूताएं दम तोड़ देती हैं, और जो प्रदेश मातृत्व मृत्यु दर के मामले में देश में चौथे नंबर नंबर पर है। जहां शिशु मृत्यु दर सबसे ज्यादा है। जहां सरकारी इलाज अब भी कई गांवों के लिए सपना है। उस प्रदेश के स्वास्थ्य  को सुधारने की जवाबदारी संभाले संचालक, उसी महकमें से, एक दो,बीस, पच्चीस पचास नहीं सौ करोड़ तक कमा जाते हैं। जिस पैसे से पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सुधर सकती थीं, वो पैसा एक परिवार की जिंदगी मेहफूज करने जमा हो जाता है। वो भी आम आदमी के नाम से आने वाले दवा के खोकों में। ये सबकुछ देख रहा आम आदमी हैरान तो है पर सवाल नहीं करता। वो जानता है कि अ‍ेकेले मित्तल गुनहगार नहीं, जूनियर आॅडिटर गणेश किरार से लेकर बहुत ऊपर तक कड़ी एक ही है। मित्तल तो इनमें सिर्फ वो चेहरा है जो पकड़ा गया है। जो नहीं पकड़े गए, उन पर इशारा मित्तल की पत्नि ने कर ही दिया था। अलका मित्तल ने अनायास ही कह दिया कि उन मंत्रियों के यहां छापे क्यों नहीं मारते, जिनके यहां हर महीने के एक करोड़ पहुंचाए जाते हैं।  मित्तल की पत्नि का ये बयान मध्यप्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ ह। लेकिन चर्चा के साथ ये चिंता का विषय भी है। चिंता का विषय इसलिए कि अगर सब बराबर के गुनहगार हैं तो कार्यवाई चीन्ह चीन्ह कर किसलिए। मध्यप्रदेश में चपरासी से लेकर आईएएस दंपत्ती तक निकल रही करोड़ों की संपत्ति के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ये जताने की कोशिश करते रहे हैं कि उनकी सरकार में भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगी है। लेकिन अलका मित्तल के बयान ने इन कार्यवाहियों की बखिया उधेड़ दी है जैसे। शिवराज सख्त हैं, काली कमाई वालों को नहीं बख्श रहे। ये दिखाई भी दे रहा है, मंजूर भी है। लेकिन इसके पहले कि उंगली उनके सहयोगियों के साथ फिर उन पर आए इसके पहले शिवराज सिंह चौहान को बताना होगा कि बख्शा कोई नहीं जाएगा। और सिर्फ छापे भर से अब बात नहीं बनेगी, अब सख्त कार्यवाही भी करनी होगी। चुनाव के पहले के इस आखिरी साल में अगर अपनी सरकार पर लगे भ्रष्ट्राचार के दाग धोने ये जरुरी है सरकार के लिए। जरुरी है कि सरकार अब अपनों को भी आइना दिखाए। वरना अलका मित्तल की फिसली जुबान से जो निकला वो सबके जेहन में कई सालों से है। अगर जनता के सामने तस्वीर साफ नहीं हुई तो ये फिर ये ही बयान उसकी सोच भी बन जाएगा। वो ये जान और मान लेगा कि जो दिखाई देता है, मर्ज सिर्फ वहीं तक नही, संक्रामक बीमारी बुरी तरह फैल चुकी है। अभी भले जनता खामोश होकर देखती रही हो, लेकिन एक मुश्त इलाज करना वो भी जानती है। चुनाव अब दूर भी नहीं है।

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