Sunday, June 28, 2015

ठिकाना, निशाना ना बन जाए


आतंकवादी अब तक दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों को अपना निशाना बनाते आए  हैं और  लंबे समय से मध्यप्रदेश की सुकूनपसंद राजधानी भोपाल इन आतंकवादियों के लिए रेस्ट हाउस की तरह रही है। ये उनके लिए एक ऐसा महफूज ठिकाना है, जहां रहकर ही आतंकवादियों ने हमले की रणनीति तैयार की और फिर वारदात को अंजाम दिया। हर बार आतंकी हमलों के बाद इस तरह की खबरें आती रही हैं कि मध्यप्रदेश से भी जुड़े थे आतंकवादियों के तार। प्रदेश की राजधानी भोपाल ही नहीं इंदौर,खंडवा,बुरहानपुर जैसे शहर भी आतंकी ठिकानों के तौर पर पहचाने जाते रहे हैं। इसी बरस साल की शुरुवात में ही  संगठन हूजी के दो आतंवादी भोपाल से गिरफ्तार हुए। फिर छै महीने बाद जून महीने में भोपाल और जबलपुर से तीन आतंकवादी और प्रतिबंधित संगठन सिमी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया । मध्यप्रदेश पुलिस ने तब ये खुलासा भी किया था कि इनमें से तीन आतंकवादियों की अहमदाबाद ब्लास्ट में अहम भूमिका रही है। लेकिन अब तक तसल्ली इस बात की रही है कि आतंकवादियों ने भारत में अपने महफूज ठिकाने को  उजाड़ने की कभी कोशिश नहीं की। जहां वो महफूज हैं उस शहर और उस सूबे में किसी वारदात को अंजाम नहीं दिया। लेकिन मुंबई में हुए ताजा आतंकवादी हमले के बाद जो जानकारी सामने आ रही हैं उससे साफ हो गया है कि अब हम खुद को महफूज मानकर चैन से नहीं बैठ सकते। आतंकवादियों का अगला निशाना हम भी हो सकते हैं। इंदौर भोपाल में आतंकवादी कभी भी आतंकी हमला कर सकते हैं। यानि अब ये सोचकर बैठ जाने के वक्त नहीं है कि हमारा शहर मुंबई दिल्ली जैसे महानगरों में शामिल नहीं हैं, और यहां कभी कुछ नहीं होगा। अब जागने के साथ सतर्क हो जाने का वक्त है। सरकार के लिए सचेत हो जाने के साथ अपने सुरक्षा बलों को संसाधनों से लैस कर देने का वक्त। अब हर हालात से निपटने के लिए हमें तैयार रहना होगा। खुफिया एजेंसियां पहले सतर्क रहें ताकि आतंकवादियों के मंसूबों को पहले ही नाकाम किया जा सके। आतंकवादियों से निपटने गठित हुए एटीएस से लेकर तमाम सुरक्षा बलों को सरकार को उन सारे संसाधनों से लैस करना होगा जिससे आतंकवादियों की हर वारदात का पूरी तरह से मुकाबला किया जा सके। जागरुक रहने की जवाबदारी जनता पर भी है। जनता की जागरुकता से भी कई बार बड़े हादसे टल जाते हैं। अगर जनता पहले से जागरुक होती तो मुमकिन था कि मध्यप्रदेश इस तरह से आतंकवादियों का सुरक्षित ठिकाना ना बन पाता। सुरक्षा बल पूरी सतकर्ता के साथ अपनी ड्यूटी निभाएंगे ये अपेक्षा अपनी जगह है। लेकिन कुछ जिम्मेदारी जनता की भी है। अपनी आस पास की दुनिया के लिए अखबार का इंतजार करने वाले आम लोगों को भी सचेत रहना होगा। अपने आस पास की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ सावधान रहना होगा। एहतियात बरतनी होगी। अपने पड़ोसी पर पूरा भरोसा रखें लेकिन कहीं भी कुछ संदिग्ध नजर आए तो पहली सूचना पुलिस को दें, शहर के भीड़ वाले इलाकों में चस्पा पुलिस की ये सूचना सिर्फ पढने और आगे बढ जाने के लिए नहीं हैं। अब वक्त है कि आप इसे अमल में लाएं। अब तक हम तूफान की जद में नहीं आए ये सोचकर बैठ जाने से काम नहीं चलेगा। तूफान किसी भी वक्त हम तक भी आ सकता है कोशिश बस इतनी होनी चाहिए कि ठिकाना,निशाना बने इसके पहले हम आतंकवादियों  की कोशिशों को नाकाम करने के लिए तैयार हो जाएं।

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