Sunday, June 28, 2015

अपनों के आइने में सरकार



कहते हैं अगर अपना आईना दिखाई तो असर भी ज्यादा होता है। संदर्भ मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का है। देश में मध्यप्रदेश अकेली ऐसी सरकार है जिसके राज में आम आदमी के लिए निहायत जरुरी कहे जाने वाले पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों पर सबसे ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है। विपक्षी दल बयान दे दे कर थक चुके। मीडिया ने भी मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सबसे सवाल किए। लेकिन इस एक मुद्दे पर सरकार अपना फैसला बदलने को तैयार नहीं हुई। लेकिन इस बार अपनों ने ही सरकार को आईना दिखाया है। भाजपा के ही वरिष्ठ नेता और अटल सरकार में पेट्रोलियम मंत्री रहे राम नाइक ने सरकार को सलाह और समझाइश दी है कि सरकार पेट्रोल, डीजल और गैस पर टैक्स कम करे। नाइक ने अपने बयान के हक में गोवा सरकार की मिसाल भी पेश की है। नाईक ने ये मंजूर भी किया है कि इससे सरकार की आमदनी कम हो जाएगी लेकिन ये भी जोड़ा है कि इस फैसले से बाकी कई फायदे भी होंगे। राम नाइक के इस बयान के विस्तार में जाइए, तो वाकई सियासी तौर पर भाजपा के लिए फायदे कई हैं। जनता को मंहगाई से जो राहत मिलेगी, सीधे आम आदमी मिलने वाले उस फायदे को दरकिनार कर भी दीजिए तो इस फैसला का लाभ भाजपा को डेढ साल बाद होने वाले चुनाव में मिलेगा। ये तय है। लेकिन भाजपा इसे दूर की कौड़ी मान के अब तक कोई फैसला नहीं ले पा रही है। उम्मीद की जाए कि और किसी की नहीं तो  राम नाइक की सलाह पर तो सरकार कान देगी। देना भी चाहिए क्योंकि सलाह किसी दूसरे खेमें से नहीं आई। परिवार की तरह चलने वाली पार्टी के वरिष्ठ ने दी है ये सलाह। गेंद अब भाजपा के पाले में है। पार्टी संगठन के पाले में और सरकार के पाले में। राम नाइक के इस बयान के बाद क्या होता है ये देखने वाली बात होगी। क्या संगठन सरकार को राम नाइक की सलाह पर गौर करने के लिए कहेगा। और सरकार संगठन की सलाह को सिर माथे लेगी भी कि नहीं। इससे ये सच भी सामने आ जाएगा कि अब तक भाजपा संगठन और सरकार में तालमेल के जो दावे किए जाते रहे हैं, हकीकत की जमीन पर वो कहां है। ये सरकार के लिए खुद को दुरुस्त करने का ये पहला मौका नहीं होगा। पहले भी शक्कर बिजली और कपड़ों पर टैक्स बढाने के बाद सरकार अपना फैसला वापिस ले चुकी है। और सरकार के इस फैसले का व्यापारियों ने ही नहीं जनता ने भी दिल खोलकर स्वागत किया था। अबकि पार्टी के अपने दिग्गज नेता की बदौलत सही मध्यप्रदेश में भाजपा को फिर अपनी भूल सुधार का मौका मिला है। यूं भी सरकार की ब्रांडिग के लिए बेटी बचाओ जैसे अभियान में करोड़ों खर्च कर देने वाली सरकार को अब समझ लेना चाहिए कि हंसते खिलखिलाते होर्डिंग देखकर जनता नहीं मानती कि प्रदेश खुशहाल है और तरक्की की राह पर बढ रहा है। वो तो खुद अपनी तरक्की और खुशहाली को पैमाना रखकर सब आंकती है। शब्द भले गलत लगे लेकिन सरकार को समझना चाहिए कि ये चोट का सही मौका है। डीजल पेट्रोल और रसोई गैस के टैक्सों में राहत देकर सरकार अपनी इस चोट को आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट में बदल सकती है। इस बार तो घर के सदस्य ने ही आइना दिखाया है, उम्मीद कीजिए कि असर जरुर होगा।  तब तक चाहें तो मंहगाई पर विलाप जारी रखते हैं।

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