Sunday, February 21, 2016

ये तेरा कन्हैया....तंग मुझे करता है ..



मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया...तंग मुझे करता है..., मैं बची राम जी की कृपा से। सुबह से मोहल्ले में हाई वाल्यूम पर बज रहा था ये गाना। कि लीजिए गाना सुनके पुलिस भी आ गई। कांस्टेबल साहब बीते दिन की सभा में लगी ड्यूटी की थकान आंखों में लिए आए, और झल्लाते हुए बोले, जे कन्हैयाओं ने जान आफत में कर राखी है। दरवाजा खटख्रटाया, कहां है कन्हैया बाहर निकालो। दरवाजे पर आया कुल तीस किलो का प्राणी उल्टे पैर भागता हुआ अंदर गया और बीवी को बुलाके लाया...बीवी घुंघट में थी, आंचल में से दूधमुंहे को बाहर निकालते हुए बोली...साहब कन्हैया। ई है कन्हैया? कांस्टेबल ने हैरान होते हुए  पूछा। फिर भी जब देश में राष्ट्र भक्त, राष्ट्र द्रोही की इमरजेंसी चल रही हो तो अपने दिमाग से डिसीजन लेना ठीक नहीं। सो कांस्टेबल ने सीधे थानेदार साहब की घंटी बजाई? साहब भी हफ्ता दस दिन से एक घंटी पे ही फोन पिक कर रहे थे तो , बोले, कहो मिसरा, पता लगा कन्हैया। साहब मिसरा के हाथ कन्हैया ना आए ऐसा हो सकता है का। बिल्कुल हमारे सामने ही है, अरे यूं समझिए कि अपनी गिरफ्त में है भाग नहीं सकता। फिर कांस्टेबल साहब मन ही मन बोले दुई महीने का है ये कन्हैया। फिर तो इसकी क्या खाक विचारधारा डेब्लप हुई होगी? फिर संभलते हुए साहब से बोले, वैसे ही देश में माहौल खराब चल रहा है साहब। आप जैसा कहें पर मेरा सुझाव ये था कि बड़ा मामला हाथ लगा है ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए. . तो कुछ देर का पाज लेकर साहब ने भी कांस्टेबल को गाइड किया ठीक है, ई कन्हैया पे नजर दिए रहो, जाति समाज, तो ठीक है तुम ये पता करो विचारधारा कौन सी है इसकी? लेफ्ट है कि राईट। कन्हैया का मामला है हल्के में नहीं लिया जा सकता? अच्छा रुको हम खुद ही वहां पहुंचते हैं। देखो अभी मीडिया तक ये खबर नहीं पहुंचनी चाहिए। वरना जबरन कन्हैया का वीडियो चला देंगे , और संघी गैर संघी का धड़ा बनाए के ये बुध्दिजीवी ही शुरु कर देंगे संघी गैर संघी का विवाद। 


पर मोहल्ले की जुबान खुली और मीडिया के कान तक भी पहुंच ही गई। फिर क्या था कन्हैया के घर पर मीडिया का जमावड़ा लग गया। पहले टीवी चैनल की मैडम आईं। अभी घर से कोई निकला भी नहीं. लेकिन मैडम ने दरवाजे से माहौल को अपने अंदाज में भांप के रिपोर्टिंग शुरु कर दी। इस मोहल्ले को ध्यान से देखिए, टालीपुर का शहर का संवेदनशील कहा जाने वाला ये मोहल्ला। कौन जानता था कि इस मोहल्ले में रहने वाला एक छोटा सा बच्चा एक दिन इस तरह से सरकार की नाक में दम करेगा। फिर कुछ लड़कों को इकट्ठा कर मैडम पूछने लगी, और बिना उनसे जाने पूछे लड़कों का परिचय भी दे दिया, मेरे साथ इस वक्त कन्हैया के बचपन के दोस्त खड़े हुए हैं, आप ये बताइए कन्हैया का बचपन से ही ऐेसा उत्पाती था। लड़के कुछ कह पाते इसके पहले मैडम ने फिर जजमेंट दिया, जिसका बचपन से ही अपने मोहल्ले में ऐेसा खौफ हो कि उसके दोस्त ही उसके बारे में कुछ बोलने से घबराते हों, उसका भविष्य तो ये होना ही था। बैक टू स्टूडियो। इधर रिपोर्टर मोहतरमा ने ज्यादा कुछ मसाला ना होने की वजह से स्टूडियो को टॉस किया और स्टूडियों में भगत सिंह की आत्मा शरीर में लिए बैठे एंकर महोदय अचानक चीखने लगे. ये देखिए तस्वीरें। इस देश को हमने अपने खून पसीने से सींचा है, भारत का अपमान किसी कीमत पर नहीं सहा जा सकता और देशद्रोहियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जा सकता। दमदार जानदार लाईन बोलने के बाद एंकर ने पानी ऐसे पीया जैसे सीधे आतंकवादियो ंका खात्मा कर देने के बाद कंमाडो राहत की सांस लेता है। उधर पीसीआर से एंकर के कान में आया बधाई संदेश, गजब कर दिया साहब देशभक्ति इसी को कहते हैं, मेरे बस में होता तो इस बार परमवीर चक्र आपको ही मिलना था. आज पूरे देश में देशभक्ति की लहर आपकी वजह से है, वैसे एक बात कहूं सर, चुनाव लड़ जाइए। सोशल साइट्स पर दो हजार लाइक्स हैं आपके स्टेटस पर। इनमें कुछ विरोधी पक्ष की गालियां भी हैं, लेकिन इट्स अ पार्ट आॅफ गेम। अब पूरा गेम ही दो धड़ों का है,या  तो इधर रहिए या उधर जाइए। न्यू इरा आॅफ जर्नलिज्म। हा हा। एंकर सर ने हंसते हुए जवाब दिया, फिर कहा, पगले चुनाव लड़ने ये देशभक्ति नहीं दिखाई है, हम तो सीधे लैंडिग वाले हैं, समझा राज्य सभा वाले। .चल ब्रेक खत्म हो रहा है, देशभिक्त वाले जजमेंटल मोड में आने दे। जो अपनी एंकरिंग की पहचान है। 

इधर मोहल्ले में टीआई साहब ने एन्ट्री ले ली थी। कन्हैया के घर पर इस वक्त पूछताछ का दौर चल रहा था। टीआई साहब कुछ पूछते इसके पहले रिपोर्टर मैडम कूद पड़ी ये बताइए कि कन्हैया को जब आपने पढने भेजा...मैडम का सवाल पूरा सुना भी नहीं और उसकी मां बोली, पढेगा मेरा कन्हैया आगे बढेगा मेरा कन्हैया. उतने में टीआई साहब ने रिपोर्टर मैडम से कहा देखिए हमारी पूछताछ तो हो जाने दीजिए फिर अपने चैनल की  टीआरपी बनाती रहिएगा। मैडम की बात अधूरी रह गई। लेकिन चुप रह जातीं तो कोई दूसरा चैनल बाजी मार ले जाता। तो पीसीआर में कहा, लाइव लो। और फिर रिपोर्टर मैडम ने बोलना शुरु किया, मां के तेवर कन्हैया से कम नहंीं, बोलीं पढेगा कन्हैया आगे बढेगा कन्हैया। ये बताने की जरुरत नहीं कि कन्हैया की मां का इशारा किस पाठ की तरफ है और कन्हैया किस तरफ बढ रहा है ये सब हम देख ही चुके हैं। और उधर फिर एंकर महोदय को अपनी देशभक्ति दिखाने का जानदार शानदार मौका मिल गया. देखिए हमारे चैनल पर पहली तस्वीरें, और फिर एंकर महोदय ने स्टूडियों में बैठे एक स्वयंभू प्रवक्ता महोदय से कहा कि आपको नहीं लगता कि इसमें देशद्रोह का मामला बनता है? 

उधर मोहल्ले में फिर पुलिस की अफरातफरी शुरु हो गई। टीआई साहब अब कन्हैया की मां से पूछताछ कर रहे थे. अच्छा ये बताइए कि कन्हैया से कौन कौन मिलने आता है यहां? मां हंसते हुई बोली, अफजल भाई के साथ वो सबसे ज्यादा  खुश रहता है। अफजल हुम्म तो बात यहां तक है......तभी तो. थानेदार साहब ने मन ही मन दोहराया। फिर बोले, हुम्म मैं सुन रहा हूं आप बोलते जाइए, इस विचारधारा में कब से आाया?  कन्हैया की मां बोली, मैं समझी नहीं आाप क्या कह रहे हैं। कान्सटेबल बीच में बोला, मैं पूछता हूं साहब। किस साइड को ज्यादा झुकाव है, दांए के बांए। बांए तरफ ही जाता है कन्हैया हमेशा। पर मैं तकिया लगा देती हूं.  थानेदार साब ने पीठ थपथपाते हुए कांन्सटेबल से कहा सही पकड़े हो मिसरा। सीधी सी बात है वाममार्गी है लेफ्टिस्ट। तभी तो। 


इसी बीच में मोहल्ले की एक परेशान स्त्री रोती हुई थानेदार साहब के पास आई, साहब थाने में कितने चक्कर काटे, यहां राशन की दुकान से हमको बराबर राशन नहीं मिलता। नेता जी बोलतेहैं दो रुपए किलो गेंहू चावल मिलेगा, पर  ये तो दस रुपए किलो में भी नहीं देते.कहते हैं, तुम्हारे लिए नहीं है। रोज  भगा देते हैं, गरीब लोग हैं साब हमारी भी सुनवाई कर लो। थानेदार साहब जोर से चिल्लाए,देख नहीं रही कन्हैया इन्वेस्टीगेशन चल रहा है। बहुत बड़ा मामला है ये। देश भर की निगाहें लगी हैं इस पर। तेरे राशन के लिए हम अपना प्रमोशन वाला केस छोड़ दें। इतने में बात लपकते हुए कांस्टेबल बोला, साहब ई मामले से तो आप भी टीआारपी पकड़ेंगे। और हंसी के ठहाके गूंज गए। उसी हंसी में अपने अांसू छिपाती वो स्त्री बच्चों को समझाती घर लौट रही थी, बेटा कल तुम दोनों भरपेट रोटी खाओगे। फिर बीच में ही उसका पति बोल पड़ा मैने कहा था नंदू नाम मत रख उसका, कन्हैया रखा होता तो आज ऐसे दुत्कारी ना जाती। थानेदार साहब अपने भी घर आते हाल चाल पूछने। फिर लाचार पति की नजर टीवी वाली मैडम पर गई, वो पहुंच गया. मैडम यहां राशन की दुकान पर बहुत गड़बड़ है , गरीबों को अनाज नहीं मिल रहा। रिपोर्टर ने सोचा एक बार बॉस को खबर बता देनी चाहिए, उसने फोन किया, सर यहां राशन की दुकान की एक खबर है लाइव कर लें क्या? कुछ गरीब मेरे पास खड़े हैं बता रहे हैं कि उन्हे राशन नहीं मिल रहा। उधर से झल्लाता हुआ जवाब आाया, लोकल चैनल में काम करती हो क्या? इश्यू बेस्ड जर्नलिज्म जानती हो कि नहीं? देश भक्त देश द्रोही इन दोनों में से किस फ्रेम में है ये गरीब? 

मैडम रिपोर्टर की सिट्टी पिट्टी गुम। बोलीं, मैं पूछती हूं सर, ....और फिर उन गरीबों से पूछा आाप ये बताइए राष्ट्रभक्त हैं, राष्ट्र विरोधी। गरीब हाथ जोड़कर बोले,  ये तो नहीं मालूम, गरीब हैं मैडम हम तो। और हमारे ये बच्चे दो दिन से भूखे हैं। रिपोर्टर ने ऐसे उन गरीबों को समझाया जैसे खिलौना ना लाने पर मचल रहे बच्चे को पापा संमझाते हैं कि अगली बार पक्का। बोली, देखो अभी ना हमारा चैनल टीआरपी में डाउन जा रहा था कन्हैया की वजह से अच्छी टीआरपी मिल गई है, इसलिए ये टाइम रहने दो। मेरे कुछ दोस्त हैं लोकल चैनल्स में, मैं उनकी बोल दूंगी वो आापका करवा देंगे। गरीब परिवार निराश होकर वापिस लौट ही रहा था  कि उनके बच्चे दौड़कर दौड़ कर फिर रिपोर्टर के पास गए, बोले, दीदी हम राष्ट्रभक्त हैं...रिपोर्टर ने फिर लाइव पेल दिया...देखिए इन मासूम बच्चों को, राष्ट्रभक्त मासूम बच्चे। जो देश की बिगड़ती फिजां में भी अपनी राष्ट्रभक्ति को जिंदा रखे हंै, आाइए हम इन बच्चों से बात करते हैं, बेटा आप देश में कैसा माहौल चाहते हो? बच्चों ने एक स्वर में जवाब दिया,..ऐसा माहौल चाहते हैं कि हमको रोज भरपेट खाना मिल जाए। जैसे आपको मिलता है। रिपोर्टर ने फटाफट ब्रेक लिया। 


उधर थानेदार साहब अपनी पूछताछ की आखिरी किस्त में थे. आप कन्हैया के बारे में और कुछ बताना चाहती हैं? इतने में कन्हैया मचलके रो पड़ा. थानेदार साहब झल्लाए चुप कराइए इसे। कांस्टेबल ने कहा, सर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है रोने दीजिए। वैसे भी, कन्हैया नाम है इसका बवाल खड़ा कर देगा। 


थानेदार साहब ने चौंक कर पूछा, ये है कन्हैया? मिसरा तुम पागल हो क्या? दो महीने का बच्चा कन्हैया क्या करेगा? साहब हम सुने थे कि कन्हैया तंग कर रहा है इसलिए सेंसेटिव मामला समझ के आपको बता दिए। रिपोर्टर मैडम भी ये सब सुन रही थी, कांस्टेबल साहब की सी हालत उनकी भी थी, बोलीं सही कह रहे हैं आप अब डिमांड में यही नाम तो चल रहा है तभी तो हमारे चैनल ने भी मेरे कहने पर 30 मिनिट का स्लॉट इस कन्हैया के नाम कर दिया। फिर भी थानेदार साहब कोई चूक नहीं चाहते थे, बोले, मिसरा पूछ के आओ...बच्चे की मां से कि  ये अफजल कौन है? कन्हैया की मां बोली, हमारे पड़ोसी हैं, सब्जी का ठेला लगाते हैं। कन्हैया बहुत हिला मिला है उनसे। 
थानेदार बड़बड़ाते हुए जीप में सवार होकर निकल गए। रिपोर्टर मैडम भी अपना तामझाम समेट कर आगे बढी...पास में एक बगीचे के पास एक लड़की की आवाज सुनाई दी वो एक लड़के से पूछ रही थी, कौन हो तुम? लड़के ने कहा एमजेएनयू...लड़की चिल्लाई पकड़ो ये एमए जेएनयू है। मैडम को फिर नया मसाला मिल गया था। 

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