पाती, राज ठाकरे के नाम,
राज ठाकरे नही चाहते कि उत्तर भारतीय मुम्बई में रहें ...अब मिश्रा जी भी नही चाहते कि बंगाल से आए मछली खाने वाले मित्रा बाबू से वो पड़ोसियाना निभाएं,लेकिन मनसा की तरह उनकी अपनी कोई सेना नही है और ना ही इतनी हैसियत कि गाढ़ी कमाई से मिश्राजी के पड़ोस मे लिए हुए मित्रा साहब के घर को वो दबिश से खाली करा सकें,जिस तरह ज़ोर ज़बरदस्ती मुम्बई मे रह रहे उत्तर भारतीयों के साथ हुई है...राज के मुम्बई पर राज करने के इस अंदाज़ के विस्तार मे जाइये महसूस करेंगे आप कि इस बयान से अपने ही आसपास कितना कुछ दरकने लगा है...कोई उस बयान के हक़ मे है कोई खिलाफत में ,बीच की सोच रखने वाला सोच रहा है कल,गाँव और शहर का झगड़ा तो नही खड़ा हो जाएगा,..फिर बबुआ को पढ़ा लिखा कर बड़ी नौकरी करने कहाँ भेजूँगा,वो उत्तर भारतीय हो,देश की किसी दिशा से आया हो,वो इस पर गुस्साता है,जो कहता है आप भी सुनिये.........,माना जनाब मुम्बई आपकी है,उसकी भाषा आपकी,संस्कृति आपकी,पर सौतेले ही सही संतान हम भी हैं उस मुम्बा माँ की..जिसने आपको अगर अपने दुलार से हम पर गरियाने की इजाज़त दी है..तो हमे भी अपने आँचल मे फलने फूलने का हौसला दिया है,और हमने भी इस माँ से कभी दगा नही किया,मुम्बई बम ब्लास्ट से लेकर बाढ़ और रोज़ होने वाली तमाम मुसीबतों मे जब वक्त पड़ा तो हम भी उसके काम आये हैं,माना हम उत्तर के हैं बरसों पहले अपना वतन छोड़कर मुम्बैया हो गए हम लोगो ने भी अपनी उमर का पसीना आपके शहर के नाम लिक्खा है,फिर भी जानते हैं ,.कि हम बेगाने हैं,लेकिन अब आप जवाब .......,जुहू बीच के किनारे छठ पूजा करने वाले हम लोग अपनी उन संतानों को क्या जवाब दें......,जो हमारी जड़ों को काट कर आपके रंग मे रंग गई हैं.....,आपकी बदसलूकी बर्दाश्त है हमें,.... पर हम अपने उन बच्चों का क्या करें,जो भोजपुरी भूलकर मराठी बोलने लगे हैं......,हम गंगा किनारे के बूढ़े माँ बाप पिछड़े हैं जिनके लिए....,पश्चिम के हो चले गंगा मैया के इन बच्चों की भी कोई शिनाख्त बता दें मुम्बई के राज ठाकरे साहब....।
( ये मेरे ब्लॉग की पहली चिट्ठी थी....जया बच्चन के हिन्दी के हक में दिये बयान के बाद उठे बवाल के बाद ये मौज़ूँ बन पड़ी है...सो आपकी नज़्र है...
Posted by पटिये at 3:03 AM 0 comments
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Monday, September 8, 2008
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3 comments:
सशक्त लेखन !!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- हिन्दी चिट्ठाकारी अपने शैशवावस्था में है. आईये इसे आगे बढाने के लिये कुछ करें. आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
अच्छा है. बेहतरीन है . बधाई.
aap ne theek likha hai shuruat thodi dhimi thi beech mai gajab ka nikhar tha mai padhte padhte such raha tha ki or behatreen aana baki hai ki ending ho.mughe lagta hai aapko or ek chithi likhana chahiye tab maja ayega......ye mere moulik vichar hai agar aapko kuch bura lage to chama chunga
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