कल रात सपने में पापा के पाँव देखे
वो पाँव, जिनसे उन्होंने जिंदगी के ७० बरस पार कर लिए
जाने कितने रस्ते नापे....वो पैर ही तौ थे साथ
जब छूटा पापा का घर , शहर छूटा...,
पूरी जिंदगी भागते रहे उनके पैर ...हमारे लिए....
तब भी जब खुद अपने पैरों पर खड़े हो चुके थे हम,
लेकिन वो पैर एक दिन थम गए
वों अस्पताल था
याद करती हूँ
उस ज्योतिष ने पैर देख कर ही तौ कहा था...,उम्र लम्बी है पापा की
पर पापा बहुत थक गए थे.............सो गए.....
1 comment:
उन पैरों ने सिर्फ एक ज़िंदगी तय नहीं की... बल्कि उस रास्ते को भी पहचाना, जिस पर चलकर उनके बच्चों ने बनाई अपनी पहचान... और वो पैर थके नहीं थे... थक सकते भी नहीं थे... वो पैर अपना काम पूरा कर चुके थे... और शायद अपनी ज़िम्मेदारी अगली पीढ़ी को सौंपना चाहते थे.... बस इसीलिए थम गये वो पैर... लेकिन उन पैरों का सफर थमने मत देना...
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