Friday, March 20, 2009

साहिल पे मछुआरे भूखे

नदी पड़ी है नावो में......

पानी प्यास बढाता जाये

धूप लगे हैं छाँव में......

गुठले पड़ गये पांव में

आये जबसे तेरे गाँव में......

सुधीर

ये सुधीर की लाईनें हैं....किसी कागज़ पर नहीं उतरी मोबाइल के एसएमएस बॉक्स में यूँ ही रात की बेखयाली में सुधीर ने दर्ज कर दीं......लिखते हैं,खूब और खूबसूरत लिखते हैं.... लेकिन जो लिख्खा वो अब तक दुनिया की नज़्र नहीं हुआ ....मेरे ब्लॉग पर अब अक्सर आप सुधीर को भी पढ़ सकेंगे......।

8 comments:

Unknown said...

सुधीर जी की लेखनी में गजब की धार हैं । बहुत बहुत बधाई

Udan Tashtari said...

सुन्दर लिखा है सुधीर ने!!

MANVINDER BHIMBER said...

sunder लिखा है .....आपका शुक्रिया इसे पड wane ले लिए

अबरार अहमद said...

सुधीर जी को बधाई। कहें लिखते रहें यूं ही बेखयाली में।

सुनील मंथन शर्मा said...

bahut achchha

mehek said...

bahut hi badhiya

के सी said...

ये वाकई सुन्दर है !

sachin said...

i apreciate these lines by heart.....sudhir bhaiya thats you are and these are your stranth of writing. and also your presentation...i aspect your next lines will be more beautiful.