साहिल पे मछुआरे भूखे
नदी पड़ी है नावो में......
पानी प्यास बढाता जाये
धूप लगे हैं छाँव में......
गुठले पड़ गये पांव में
आये जबसे तेरे गाँव में......
सुधीर
ये सुधीर की लाईनें हैं....किसी कागज़ पर नहीं उतरी मोबाइल के एसएमएस बॉक्स में यूँ ही रात की बेखयाली में सुधीर ने दर्ज कर दीं......लिखते हैं,खूब और खूबसूरत लिखते हैं.... लेकिन जो लिख्खा वो अब तक दुनिया की नज़्र नहीं हुआ ....मेरे ब्लॉग पर अब अक्सर आप सुधीर को भी पढ़ सकेंगे......।
8 comments:
सुधीर जी की लेखनी में गजब की धार हैं । बहुत बहुत बधाई
सुन्दर लिखा है सुधीर ने!!
sunder लिखा है .....आपका शुक्रिया इसे पड wane ले लिए
सुधीर जी को बधाई। कहें लिखते रहें यूं ही बेखयाली में।
bahut achchha
bahut hi badhiya
ये वाकई सुन्दर है !
i apreciate these lines by heart.....sudhir bhaiya thats you are and these are your stranth of writing. and also your presentation...i aspect your next lines will be more beautiful.
Post a Comment