Wednesday, December 3, 2008

चाँद मुस्कुराया तो ये ख्याल आया........

चाँद से इस मुल्क का नाता बहुत पुराना है.....चाँद बचपन का चंदामामा भी है...जवानी का मेहबूब भी...हिन्दुस्तानी क्लासिकल शायरी का हर शेर चाँद के बगैर अधूरा है........आसमान की छत पर सदियों से टंगा है चाँद...धरती माँ का चंदामामा...जो जानता है आँसूओं को मुस्कान में बदलने का जादू...उम्र के साथ चाँद से रिश्ता तो बदलता है...पर ये चाँद नहीं बदलता...आसमान की सीढ़ियाँ उतरकर ये चाँद जब कैनवास पर आता है...तो बन जाता है गुज़रे दिनों का गवाह...ये अधूरा चाँद टूटे ख्वाब की पूरी बयानी करता है.......
शायरी की तो सुबह ही चाँद से होती है...दिन के उजाले में भी शायर चाँद और चाँदनी की बातें किया करते हैं.... सोचिये तो ज़रा अगर ये चाँद ना होता...तो मोहब्बत करने वाले अपने मेहबूब की मिसाल कहाँ से लाते... हम
जज्बात में जीने वाले हिन्दुस्तानियों की तो रीत में है चाँद....प्रीत में है चाँद....ये चंदा आसमान में टंगा वो खामोश बहरुपिया है....हमारी उम्र के साथ जो अपना किरदार बदलता रहता है....

..........परसों के रोज़ छत से चाँद को मुस्कुराते देखा...मेरे बचपन में आँसूओं को मुस्कान में बदलने वाला चाँद हंसा तो ये ख्याल आया...जो अब आपकी नज़्र है....

10 comments:

Ashish Khandelwal said...

chand ko aapne bahut hi khoobsoortee se pesh kiya hai.. chand ke 1000 roop hain.. aapkee aglee post ke intezaar rahega

mehek said...

waah aapne hamare dil ke lafzon ko apni kalam se sawara hai,behad khubsurat lekh chand ki tarah.

मनोज द्विवेदी said...

chandani ke dhundhlake se nikali shital chhawn ki tarah hai apka ye najra kiya gaya lekh. padhkar kho gaya tha..tandra tuti to apko pati likh raha hun..

नीरज श्रीवास्तव said...

शिफाली,
मन भी तो चांद की तस्वीर-सा ही है... कभी अमावस सा घटता है, तो कभी पूनम की तरह बढ़ता है... कभी अंधेरे में खोता है, तो कभी चांदनी सा मुस्कुराता है... हमेशा खिले रहने का नाम न चांद है, न मन... बस दुआ कीजिये की उतार-चढ़ाव के बीच इसकी ख़ूबसूरती बरकरार रहे !

राजीव करूणानिधि said...

अजी चाँद की बात छोडिये, कुछ देश की भी सोचिये, चाँद तो चाँद है पहले अपने आप को तो बदलिए. बदलने का वक़्त है, तो बदलिए अपने आप को. वो कहावत सुनी है न....कि आप भला तो जग भला.
आपके दोस्त बदलेंगे, पड़ोस बदलेगा, मोहल्ला बदलेगा, समाज बदलेगा, जिला बदलेगा, राज्य बदलेगा, देश बदलेगा और सारा जहां बदलेगा..
कभी मेरे ब्लॉग पर भी अपनी नज़रे इनायत कीजिये..

राजीव करूणानिधि said...

शुक्रिया आपका....अच्छा लगा आपको अपने सफ़र पर देखकर. मेरी ऐसी मनसा नहीं थी. आप क्या, अपने मन की करने के लिये हर जन स्वतंत्र है..वैसे मै बता दू मैंने आपकी पूरी कविता बड़े गौर से देखी है, वाकई शानदार है..वैसे अभी अभी मैंने एक और लेखनी पोस्ट की है, आप जरूर गौर फरमाइयेगा..धन्यवाद

धीरेन्द्र पाण्डेय said...

bahut khub bahut khub

sandhyagupta said...

Chand ki kai tasviren paish ki aapne...

इरशाद अली said...

oh! Kitna Sunder

Nalin nayan prakash said...

SABSE PAHLE TO MAI US CHAND KI TARIF KARUNGA JISNE AAPKO ITNA ACCHA LIKHNE K LIYE MAJBOOR KAR DIYA. BAKI SARI SUNDERTA TO AAPNE KHUD HI BAYAN KAR DIYA HAI.