Friday, December 31, 2010

आज की रात 12 बजते ही
हमारी तरह
मोबाइल भी हो जायेगा पागल ....
बार बार बजेगा
मुबारकेंआयेंगी दूर दूर से इस ताकीद के साथ
कि बदल गया है साल,
कल फिर सुबह होगी
साल के 365 दिनों में
बदलता हुआ सिर्फ एक दिन हमें लगेगा खास
कुछ बदलाव भी होंगे
बदलेगा घर की दीवार पर लगा कैलेण्डर
तारीख महीने की कतार में
साल के खाने में होगा बदलाव
ज्योतिषी बारहखानें बाँचकर
फिर लिखेंगे नये साल का नया फलसफ़ा
पर जहाँ रुका है वक्त,रुका ही रहेगा...
फिर चाहे बदल गया हो साल
टूटे रिश्तों की दरार वक्त के साथ
हो जायेगी कुछ और गहरी
जो छूट गये वो छूटे ही रहेंगे इस साल भी
तारीखें भी भूले मेरे पिता
इस बार भी नहीं जान पायेंगे वक्त का रद्दोबदल
नया साल,नई उम्मीदें,नई सुबह,नया सूरज
मन का भरम है,सब
एक दिन बाद होगी
फिर वहीं पुरानी कहानी
फिर वही जूझती घिसटती दोपहर
रोती सिसकती रात......
चंद घँटो में खत्म हो जायेगी
नये बरस की नई शाम......
शिफाली

Thursday, November 18, 2010

कल रात सपने में पापा के पाँव देखे

वो पाँव, जिनसे उन्होंने जिंदगी के ७० बरस पार कर लिए

जाने कितने रस्ते नापे....वो पैर ही तौ थे साथ

जब छूटा पापा का घर , शहर छूटा...,

पूरी जिंदगी भागते रहे उनके पैर ...हमारे लिए....

तब भी जब खुद अपने पैरों पर खड़े हो चुके थे हम,

लेकिन वो पैर एक दिन थम गए

वों अस्पताल था

याद करती हूँ

उस ज्योतिष ने पैर देख कर ही तौ कहा था...,उम्र लम्बी है पापा की

पर पापा बहुत थक गए थे.............सो गए.....

Wednesday, August 18, 2010

की इस छोटी सी दुनिया मे सभी क्यों कर नहीं अपने ,

जो रिश्ते हैं ,जो नाते हैं

की वो सब हो गए सपने ,

ये किस गुरुर ने अपनों से तनहा कर दिया हमको

ये क्या गुरुर है सारा जहाँ ठुकराए बैठे हैं।

यूँ ही लिख डाला.....कोई ख्याल इस तरह उतर गया..अब आपकी नजर है...............

Thursday, June 24, 2010

बहुत छोटी सी हसरत है,

खुदाया पूरी कर दो ना

सुबह जब नींद से जागूँ

तौ ख्वाबों मे सवेरा हो ..................