उसे दिन रात पड़ती हूँ....'
उसी मे गुम सी रहती हूँ
वो एक नादान सपना सा
मेरे घर बन के आया जो
कोई भगवान् ,अपना सा
वो जागे तब सुबह होती
जो सोये रात होती है
वो जागे तब सुबह होती
जो सोये रात होती है
वो हर मसले का हल जैसे
उम्मीदों का हो कल जैसे
मै जब भी ज़िदगी की मुश्किलों से हार जाती हूँ
मै जब भी ज़िदगी की मुश्किलों से हार जाती हूँ
वो उसकी नीमकश आँखें
मुझे कहती हैं जीना है !!
ज़माना कितने गम दे दे
मेरी खातिर वो पीना है भरोसा रख, की तेरे ही भरोसे दुनिया मे आया
के जिसने के कल की बेटी और बहन को माँ बनाया है
यही है मेरा सरमाया,
ये मेरी कोख का जाया......
जिसे दिन रात पढ़ती हूँ.......!!!!!