एक अजीब खामोशी जम गई है चेहरे पर,
कुछ कहा नहीं जाता,
कुछ सुना नहीं जाता
और सच कहूँ तो कुछ लिखा भी नहीं जाता......
अबकि
जाने क्या बात हुई है....
( कई कई बार ब्लॉग की स्लेट खाली भी छूट जाती है....जब ज़ेहन की मुश्किलें,दिल की स्याही में मिल जाती हैं....फिर कुछ कहा नहीं जाता...बड़ी साफगोई से अपनी बयानी कर दी है....जल्द फिर मिलूँगी एक नई पोस्ट के साथ, मेरा वादा है.....)
Saturday, January 17, 2009
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14 comments:
अपना ख्याल रखना।
yu bhi hota hai kabhi,alfaz hamoshi chahte hai,jab unki nind tute phir se saja digiyega:)
ऐसे क्षणों से कोई नहीं बच पाता। अकेलापन इसमें बढोतरी करता है। सो, अकेलेपन से बचिएगा।
अच्छा है कभी कभी कोरे पन्ने भरो हुओ से बेहतर होते है
चलिये, कुछ ऐसे भी पल होते हैं..बीत जाते हैं मगर. शुभकामनाऐं.
आइये फ़िर लौट कर .यह खामोश लफ्ज़ भी अपनी बात कह जाते हैं
मैं कह बोल चुकी हूँ ....
किताबें खोल चुकी हूँ
कहीं किसी कानून की
कोई धारा नही मिलती ............
जाने क्या बात हुई
जाने क्या बात हुई
shaant rahiye sab pat jayega.
कोई बात नही आते जाते रहिए।
यह वही वक्त होता है जब हम अपने बारें में थोड़ा गंभीरता के साथ सोचते हैं।
ये खुद से बात करने के पल हैं शैफाली जी। अपने मन, विचारों को नवऊर्जा से सिंचित करने का समय। भले ही लोग आपको ऐसे मौके पर सांत्वना दें पर मैं तो आपको इन पलों के लिए शुभकामनाएं देता हूं। कभी-कभी ही मौके मिलते हैं अपने अंदर बैठे इंसान से बात करने के। उम्मीद है आपकी वापसी पहले से बेहतर अंदाज में होगी।
वादा निभाइएगा।
खुद से बात करने का वक्त कम ही लोग पहचानते हैं... हमे तो पता है इसके बाद आप हमसे जब रुबरू होंगी... तो लेखनी में एक रंग और जुड़ जायेगा...
aapke dil ke x rey dekhe.kalam ki kirne dil se hokar panno par padi our chap gai hai jaise...apna khyal rakhna.
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