ट्रक टॉक
कभी सड़क मार्ग से लंबे सफर पर गये होंगे तो सामने से सीधे अपनी तरफ आते ट्रकों से बातचीत ज़रुर हुई होगी...पहली नज़र में तो डराते हैं बुरी तरह..जानलेवा मालूम होते हैं...लेकिन ज़रा गौर कीजिये...,तो इन ट्रकों में आपको पूरा एक चेहरा नज़र आयेगा..सामने दो बड़ी बड़ी आँखें..,और नीचे इंजन के आगे का हिस्सा जैसे ट्रक ज़ोर का ठहाका लगा रहा हो..किस्मत से चुनाव की रिपोर्टिंग में सड़क नापते बहुत करीब से इन ट्रकों से बतियाने का मौका मिल गया..ये उसी की बयानी है...ज़रुरी नहीं है कि हर ट्रक हँसता खिलखिलाता ही नज़र आये...कुछ ट्रक गुस्सैल भी होते हैं..कहीं किसी ट्रक के चेहरे पर वक्त पर मुकाम तक पहुँचने का तनाव और सड़क पर अपने ही जैसे किसी दोस्त से मिले घाव भी नज़र आ जाते हैं..सब खुशकिस्मत नहीं होते कि हँसते हँसाते सफर तय कर जायें...हमारी तुम्हारी ज़रुरतों के बोझ से कमर टूट जाती है तो बेचारे औँधे मूँह गिरे पड़े होते हैं रास्ते के किसी मोड़ पर..कान नहीं आँख से सुनिये तो जानेंगे कि ट्रक बोलते भी हैं..ज़िन्दगी के बहुत से फलसफे, कुछ खास किस्म के शेर तो जैसे केवल ट्रकों के बैकबोर्ड के लिये ही बने हैं..बुरी नज़र वाले तेरे बच्चे जीयें बढ़े होके तेरा खून पीये..,आई तूझा आर्शीवाद,काले हैं तो क्या हुआ दिल वाले हैं..चलती है गड्ढी उड़ती है धूल...काँटो के सफर में ही मिलते हैं फूल....इन ट्रकों में भी हम इंसानों की तरह जवान और बूढ़े होते हैं..,कोई इकदम सजे संवरे दूल्हे राजा फ्रेश,तो कोई बेचारा बूढ़ा बदहाल..,एक तरफ कमर झुकाये किसी तरह चलता..जैसे कराहता कह रहा हो अबना उठाया जाता मुझसे तुम इंसानों का बोझ...हमारी तरह वो भी हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई होते हैं ..लेकिन इनके लिये भी इंसानियत की तरह सड़कों पर दौड़ना और मंजिल तक वक्त पर पहुँचना सबसे बड़ा धर्म है.........
Wednesday, March 12, 2008
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1 comment:
Kavita bahut achhii hai. dhyan rahe ki doosre ka dard usee ko dikhta hai jo dard ko mehsoos karta hai. Aur jo dard ko mehsoos karta hai weh to hamdard ho jata hai.
Anil Chawla
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