Wednesday, February 13, 2008
एक दिन प्यार का......
वैलेन्टाइन्स डे मनाया तो कभी नहीं लेकिन टेलीविज़न पर वैलेन्टाइन्स की कहानियाँ करते तमाशे खूब देख रही हूँ...वक्त के साथ साथ ये तमाशे बढ़ते ही जा रहे हैं..मोहब्बत करने वालों से ज्यादा मोहब्बत के दुश्मनों और रखवालों पर चढ़ी रही है प्यार के इस दिन की खुमारी,..एक रुमानी अहसास यहाँ सड़क छाप मजमा बन गया है..और प्रेम के दिन पर भी हौले हौले चढ़ने लगा है सियासत का रंग..मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार में भगवा ब्रिग्रेड का प्रेमियों के लिये एलान....प्यार किया है तो ब्याह भी रचाओ...कांग्रेस ने दो कदम आगे बढ़कर प्रेमियों की हिफाज़त करने मोहब्बत के मैदान में पहलवान उतार दिये हैं, लेकिन प्यार करने वाले कभी डरते नहीं...इन सारे तमाशों से बेपरवाह दो दिल तो बगीचों में,पेड़ों की छाँव तले गुम है..उस अहसास में जिसे प्यार कहते हैं। कुछ दस साल पहले, हमारे शहर में भी प्यार के इस दिन ने दस्तक दे दी थी..एक दिन प्यार का..दिल में छिपे जज़्बातों के इज़हार का.. सुर्खगुलाब प्यार की ज़ुबान बन जाते हैं...और एक कली के सहारे दिल तक पहुँच जाती है दिल की बात..प्यार खामोश है...लेकिन दुनिया बोल रही है...बहुत ऊँची आवाज़ में...प्रेम के हक़ में भी खिलाफत में भी...एक बहस सी छिड़ गई है...जैसे वेलेन्टाइन्स डे से बड़ी कोई सामाजिक बुराई नहीं...और अगर आज प्रेमियों की हिफाज़त नहीं कि तो दो नज़रों के मिलते ही पनपने वाला प्यार का पौधा मुऱझा ही जायेगा हमेशा के लिये...जैसे प्रेम आज ही पैदा हुआ ...और भोपाल में सड़कों पर इसके विरोध में उतरे बजरंगियों से डरकर दिलों से खत्म भी हो जायेगा....वेलेन्टाइन डे के नाम पर कोई प्रेमी प्रेमिका तो सुर्खियों में नहीं आये लेकिन इस दिन को अपनी सस्ती लोकप्रियता के लिये भुनाने वालों की पौ बारह हो गई ...भोपाल में तो कुछ हुड़दंगियों ने प्रेमियों के इस पर्व के खिलाफ होर्डिंग भी लगवा दी है...जिस पर लिख्खा है...वैलेन्टाइन डे के दिन सुबह घर से निकली आपकी बेटी क्या शाम को कुँआरी लौटेगी...?मेरी सलाह है किसी बेटी की इस कदर फिक्र करने वाले इन लोगों को...अव्वल तो 364 दिन भी इन बेटियों के बाप बने रहें...और आप मर्दों की इस दुनिया में तकरीबन रोज़ हमारे आस पास बेइज्ज़त हो रही औरत की खातिर..कभी पुऱुषों के लिये भी एक होर्डिंग लगवायें...और सवाल करें...कहीं आपके मन में तो नारी के लिये मैल नहीं...खैर कहाँ उलझ गये हम...प्यार से नफरत की दुनिया में आ गये..मोहब्बत करने वालों के लिये बजरंगियों ने और भी इंतज़ाम किया है...जबरन ब्याह कराने का बंदोबस्त है...बजरंगियों बहुत से बाप हैं जिनके सर पर पाँच पाँच बेटियों का बोझ है...उनका कन्यादान करो...पुण्य मिलेगा।और ग़ज़ब सुन लीजिये...प्यार के मैदान में पहलवान भी उतर गये...अपना कसरती बदन दिखाने तरस रहे पुराने भोपालियों को वेलेन्टाइन डे ने जैसे मौका दे दिया..प्यार के कोमल अहसास को अब पहलवान अपनी ताकत से बचायेंगे...इतना ही नहीं,छुटभैयी महिला नेत्रियाँ हनुमानजी का गदा और लाठियाँ लेकर प्यार करने वाले दो दिलों की हिफाज़त करने के दावे कर रही हैं...जैसे प्यार ना हुआ..कुश्ती का अखाड़ा हो गया...लाल बत्ती के सपने देख रही पॉलिटिक्स की नई पौध फिर क्यों पीछे रहती...संत वैलेन्टाइन का नाम लेकर वो भी कूद पड़े..और कुछ नहीं तो चार छै लोकल और कुछ नेशनल टीवी चैनलों की खबरों में चेहरे ही आ जायेंगे..कैमरे के इशारों पर गाँधीगिरी कहकर चंद लोगों को फूल बाँटे और वेलेन्टाइन डे धूमधाम से मनाने की अपील के साथ तमाम चैनलों के माइक पर राष्ट्र के नाम संदेश भी दे दिया....ये सारे तमाशे सड़कों पर चलते रहे...और प्यार करने वाले फिर भी प्यार करते रहे..जिसकी खातिर दिल धड़कता है..ये साँसे चलती हैं..बताइये भला, प्रेम के इस घोषित दिन पर उस हमनफस से मुलाकात कैसे ना हो..प्यार के बैरी चौराहों पर चिल्लाते रह गये...और कहीं झील के किनारे कहीं कड़वी नीम के साये में दिल से दिल की मीठी मीठी बात हो भी गई.....
Tuesday, February 12, 2008
पाती, राज ठाकरे के नाम
राज ठाकरे नही चाहते की उत्तर भारतीय मुम्बई में रहें ...अब मिश्रा जी भी नही चाहते की बंगाल से आए मछली खाने वाले मित्रा बाबू से वो पडोसियाना निभाएं,लेकिन मनसा की तरह उनकी अपनी कोई सेना नही है और ना ही इतनी हैसियत की गाडी कमाई से मिश्राजी के पड़ोस मे लिए हुए मित्रा साहब के घर को वो दबिश से खाली करा सकें,जिस तरह की जोर जबरदस्ती मुम्बई मे रह रहे उत्तर भारतीयों के साथ हुई है...राज के मुम्बई पर राज करने के इस अंदाज़ के विस्तार मे जाइये महसूस करेंगे आप की इस बयान से अपने ही आसपास कितना कुछ दरकने लगा है...कोई उस बयान के हक मे है कोई खिलाफत में ,बीच की सोच रखने वाला सोच रहा है कल,गाँव और शहर का झगडा तो नही खड़ा हो जाएगा,..फिर बबुआ को पढ़ा लिखा कर बड़ी नौकरी करने कहाँ भेजूँगा,वो उत्तर भारतीय हो,देश की किसी दिशा से आया हो,वो इस पर गुस्साता है,जो कहता है आप भी सुनिये,माना जनाब मुम्बई आपकी है,उसकी भाषा आपकी,संस्कृति आपकी,पर सौतेले ही सही संतान हम भी हैं उस मुम्बा माँ की..जिसने आपको अगर अपने दुलार से हम पर गरियाने की इजाज़त दी है..तो हमे भी अपने आँचल मे फलने फूलने का हौसला दिया है,और हमने भी इस माँ से कभी दगा नही किया,मुम्बई बम ब्लास्ट से लेकर बाढ़ और रोज़ होने वाली तमाम मुसीबतों मे जब वक्त पड़ा तो हम भी उसके काम आयें हैं,माना हम उत्तर के हैं बरसों पहले अपना वतन छोड़कर मुम्बैया हो गए हम लोगो ने भी अपनी उमर का पसीना आपके शहर के नाम लिखा है,फिर भी जानते हैं हम की बेगाने हैं,लेकिन अब आप जवाब दीजिये,जुहू बीच के किनारे छट पूजा करने वाले हम लोग अपनी उन संतानों को क्या जवाब दें जो हमारी जड़ों को काट कर आपके रंग मे रंग गई हैं,आपकी बदसलूकी बर्दाश्त है हमें,लेकिन हम अपने उन बच्चों का क्या करें,जो भोजपुरी भूलकर मराठी बोलने लगे हैं,हम गंगा किनारे के बुडे माँ बाप पिछडे हैं जिनके लिए,पश्चिम के हो चले गंगा मैया के इन बच्चों की भी कोई शिनाख्त बता दें मुम्बई के राज ठाकरे साहब.
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