Saturday, April 26, 2008

ऑपरेशन तितली....तितली के साथ ,ऑपरेशन जैसा चीरफाड़ का लफ्ज़ तितली की खूबसूरती पर फिदा जज़्बाती लोगों को अजीब लग सकता है...लेकिन खबरों की दुनिया में...टीआरपी की होड़...और भेड़चाल पत्रकारिता की दौड़ में...ये खूब चलता है....तितली उड़ी उड़ के चली...चैनलों ने कहा, आजा मेरे पास तितली कहे चल बदमाश...ये किस्सा उस खुशकिस्मत तितली का है...जो किसी संवेदनशील कार मालिक की कार के वाइपर से जा टकराई....यूँ तितलियों काकरोचों और चींटे चीटियों की शवयात्रा हमारे हाथों और पैरों तले रोज़ निकलती हैं....लेकिन टीवी चैनलों पर आने वाले भाग्यवक्ताओं की ज़ुबान में इस तकदीर वाली तितली की बात और है...कार के वाइपर से तितली के बाँय़े पंख में गंभीर चोट आई...टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि तितली कुछ वक्त के लिये तो बेहोश हो गई...फिर जब आँख खुली तो देखा वो इस वक्त उससे पूरी सहानुभूति रखने वाले कार मालिक की हथेलियों पर पसरी है...एक पल को तितली रानी कुछ समझ भी नहीं पाई कि उसे कहाँ ले जाया जा रहा है...फिर पता चला कि ये अस्पताल है...अब रोज़ बागों में बच्चों के हाथों अपनी कई बहनों माँ मौसियों और नानिओँ को मसलते मरते देख चुकी तितली क्या जाने अस्पताल....लेकिन भाग्य जो दिखाये...अब वो डॉक्टर के मेहफूज़ हाथों में भी पहुँच गई...ये और बात है कि डॉक्टर साहब को घायल तितली के इलाज का कोई तर्जुबा नहीं था...डॉक्टर साहब ने प्रयोगधर्मिता का परिचय दिया...फेवीकॉल के मज़बूत जोड़ वाली फेवीक्विक से पंखों को जोड़ दिया...डॉक्टरी पेशे पर आँच ना आये तो साथ में एन्टीबॉयोटिक भी लगा दी...और फिर तितली रानी को पंद्रह मिनिट आराम करने अकेला छोड़ दिया गया....अच्छे मरीज़ की तरह तितली रानी ने पंद्रह मिनिट बाद आँखें खोली...और बगैर फीजियोथेरेपिस्ट का सहारे लिये उड़ना शुरु भी कर दिया...पहली उड़ान भी सीधे डॉक्टर के एप्रिन तक...खैर तितलियों के समाज में इस ऑपरेशन के बाद इंसानों के लिये सहानुभूति जागी हो या नही...लेकिन हम टीवी वालों की जमात ने तितली के ऑपरेशन से एक दिवसीय टीआरपी की जंग तो जीत ही ली...तो अब जब कभी आप कहीं से गुज़रें तो ख्याल रखें...इंसान गिरते पड़ते रहते हैं...कोई तितली कोई काक्रोच चींटी...नज़र आ जाये तो उसे तुरत जानवरों के डॉक्टर के पास ले जायें...खुद टीवी पर आकर शोहरत पायें और हमारी भी टीआरपी बढवायें......